एलटी ग्रेड में पहली बार नहीं हुआ खेल
दरअसल, एल टी ग्रेट में पहली बार खेल नहीं हुआ है इसके पहले तो बोर्ड ऑफिस के बाबुओं ने मूल डाटा तक बदल दिया था। एलटी ग्रेड के 6645 पदों पर भर्ती के लिए 2014 में शुरू हुई प्रक्रिया बड़े पैमाने पर खेल हुआ था उस समय संयुक्त शिक्षा निदेशक के स्तर पर शैक्षिक मेरिट के आधार पर सहायक आध्यपकों की नियुक्ति होनी थी। इसके लिए मंडल स्तर पर आवेदन हुए थे। लेकिन माफियाओं ने लाखों रुपए वसूल कर कुछ आवेदकों के दस्तावेज से छेड़छाड़ कर नौकरी दिला दी थी। यूपी बोर्ड के प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय के अभिलेख अनुभाग के बाबुओं ने टेबुलेशन रिकॉर्ड जो बोर्ड के पास सुरक्षित थे। उनके 10वीं 12वीं का मूल दस्तावेज बदल दिए थे।
उस दौरान शिक्षक भर्ती के आवेदकों को 10वीं और 12वीं में मनमाने तरीके से नंबर दिए गए ताकि शैक्षणिक मेरिट के अनुसार इनका चयन हो सके। इस मामले में बोर्ड ऑफिस के 5 बाबुओं का नाम सामने आया जांच की रिपोर्ट के अनुसार हाई स्कूल 1999 के तीन टीआर और 2001 टीआर में बदलाव हुए थे। पांच स्कूलों के रिकॉर्ड बोर्ड के बाबुओं ने बदले थे। इसमें हाई स्कूल के 73 इंटर के 76 छात्र के नंबर बदलकर उन्हें लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई थी।उस समय जांच में खुलासा हुआ था कि इनमें से पांच ऐसे छात्र से जिनका चयन फर्जी दस्तावेज के आधार पर हुआ था।
बोर्ड के कर्मचारी की माने तो उस समय फर्जीवाड़ा करके नौकरी पाने वाले इलाहाबाद मंडल के साथ शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन दोबारा जांच के नाम पर सिर्फ कागजी कार्यवाही होते हो रही है। लगभग ढाई साल का समय बीतने के बावजूद इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
BY- Prasoon Pandey