कोर्ट ने इसे ‘आपत्तिजनक’ बताया था और केस को आगे की सुनवाई के लिए टाल दिया था। वकील जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई में शामिल हुआ तो उसका कैमरा बंद था। जब वकील को अपना कैमरा चालू करने का निर्देश दिया गया तो उसने कहा कि वह पोशाक में नहीं हैं, इसलिए वह कैमरे को ऑन नहीं कर सकता।
पिछले साल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वकील को फटकार लगाई थी, जो वीसी मोड के माध्यम से एक अन्य व्यक्ति के साथ पेश हुआ था। वह व्यक्ति स्क्रीन पर बिना गाउन के दिखाई दे रहा था। पिछले साल ही, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वकील के कृत्य को ‘अस्वीकार्य’ करार दिया था, जो अदालत द्वारा जमानत अर्जी में आदेश सुनाने के दौरान खुद को तैयार करने की कोशिश कर रहा था। अदालत ने कहा था “आवेदक की ओर से पेश वकील अदालत के कामकाज के तौर-तरीकों के अनुसार उचित वर्दी में नहीं हैं। जब आदेश दिया जा रहा है तो वह तैयार होने की कोशिश कर रहे हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।
जून, 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वकील की खिंचाई की थी, जो कार में बैठे-बैठे ही केस की बहस करने की कोशिश कर रहा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को अदालतों को संबोधित करने के लिए सुनवाई के दौरान वकीलों के लिए ‘क्या करें और क्या न करें’ के लिए नियमों का एक सेट तैयार करने का भी निर्देश दिया था।
जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की पीठ का यह आदेश हाईकोर्ट के बार संघों के पदाधिकारियों को अपने सदस्यों को सलाह देने के लिए कहा था कि वे वर्चुअल मोड के माध्यम से इस न्यायालय के समक्ष पेश होने के दौरान कोई आकस्मिक दृष्टिकोण न अपनाएं, जिससे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न हो सकती है।न्यायालय ने उस समय अपना रोष व्यक्त करते हुए कहा था, “वकीलों को अपने दिमाग में रखना चाहिए कि वे अदालतों के समक्ष एक गंभीर कार्यवाही में भाग ले रहे हैं। वे अपने ड्राइंग रूम में नहीं बैठे हैं और न ही इत्मीनान से समय बिता रहे हैं।”