इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में रुचि रखने वाले गवाहों के बयानों में गंभीर विसंगतियां पाते हुए, जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने अक्टूबर 2014 के एएसजे, महोबा द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा, जिसके तहत धारा 387, 307/34, 452, 323/34 और 427 आईपीसी के तहत अपराधों के लिए दो आरोपियों को बरी कर दिया गया था।
प्रयागराज•Mar 17, 2022 / 12:34 pm•
Sumit Yadav
इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- गवाहों की गवाही के साथ ही जांच करते समय सावधानी और सतर्कता है जरूरी
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