राजनीतिक दबदबा होने के बावजूद बना रिकॉर्ड प्रयागराज की सभी सीटों पर विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दबदबा हमेशा से रहा है। राजनीति में निर्दलीय प्रत्याशी का असर नहीं रहा था लेकिन 1993 में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में माफिया अतीक अहमद ने सफलता हासिल की थी। वह एक मात्र ऐसे उम्मीदवार रहे जो निर्दलीय के रूप में तीन बार सफल हुए। यह एक ऐसा रिकार्ड है जिसे कोई नहीं तोड़ सका और अब दलीय राजनीति में यह शायद टूटे भी नहीं। खास बात यह कि इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा क्षेत्र ही एकमात्र सीट रही जहां निर्दलीय सफल हुए, बाकी जगह पराजय ही झेलनी पड़ी। प्रयागराज में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पहली बार चुनाव जीते हैं।
1993 से अब तक राजा भैया ने दर्ज किया अपने नाम रिकॉर्ड प्रतापगढ़ कुंडा विधानसभा सीट लगातार सातवीं बार चुनाव जीतकर राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह ने इतिहास अपने नाम कर दिया है। 1993 में पहली बार राजा भैया निर्दलीय विधायक बने और इसके बाद लगातार पांच बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधयाक बनते रहे। 2022 के विधानसभा चुनाव में राजा भैया अपनी पार्टी जनसत्ता से चुनाव लड़कर जीत हासिल किया है। राजा भैया लगातार सातवीं बार विधानसभा चुनाव जीता है।
विधानसभा चुनाव में इस बार जनपद में 169 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया। इनमें से निर्दलीयों की संख्या 35 रही। इस बार निर्दलीय प्रत्याशी ने अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। अतीत में देखे तो पहली बार इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट पर निर्दल प्रत्याशी हबीब अहमद ने 34.39 प्रतिशत वोट प्राप्त कर भाजपा के तीरथराम कोहली को हराया था। 1989 में इसी विधानसभा सीट पर अतीक अहमद ने 1989 में पहली बार निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और 33.54 प्रतिशत वोट प्राप्त कर कांग्रेस के प्रत्याशी गोपालदास को हराया।
विधानसभा चुनाव में निर्दलीयों को सफलता जरूर नहीं मिली लेकिन उन्होंने कई प्रत्याशियों के समीकरण बिगाड़ दिए। सोरांव में राकेश गौतम ने एक हजार से अधिक वोट हासिल किए। हंडिया में राज बहादुर और लाल साहब ने तीन हजार से अधिक वोट प्राप्त किए। इसी तरह करछना विधानसभा में निर्दलीयों ने दो हजार, बारा में तीन प्रत्याशियों ने तीन हजार से अधिक वोट हासिल किए। इससे जीत दर्ज करने वाले प्रत्याशियों की राह में रोड़े जरूर आए।