फूलपुर लोकसभा सीट कांग्रेस की एतिहासिक सीट मानी जाती है। कांग्रेस ने इस सीट पर सर्वाधिक सात पर जीत दर्ज की है। 2014 में केशव प्रसाद मौर्या ने पहली बार बीजेपी की झोली ये इस सीट की सौगात दी थी। डिप्टी सीएम बनने के बाद केशव प्रसाद र्माया को इस सीट से इस्तीफा देना पड़ा था। अब इस सीट पर लोकसभा उपचुनाव होना है। यहां होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस बीजेपी के विजय रथ को रोकने ने पूरी तैयारी में जुट गई है। कांग्रेस ने फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेसियों से आवेदन मंगवाए थे।
कांग्रेस से फूलपुर के दंगल में ताल ठोंकने के लिए 24 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की है। जिसमंें कांग्रेस दो प्रमुख चेहरों पर दांव खेल सकती है। कांग्रेस प्रवक्ता किशोर वाष्णेय ने बताया कि फूलपुर लोकसभा उपचुनाव को लेकर राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी और अनुग्रह नारायण में से किसी एक को मैदान में उतारा जा सकता है। पार्टी मेें फूलपुर लोकसभा उपचुनाव को लेकर मंथन चल रहा है। जल्द ही प्रत्याशी के नाम की घोषणा की जाएगी।
मालूम हो कि प्रमोद तिवारी के आने से कांग्रेस का पलड़ा बीजेपी पर भारी पड़ सकता है। कांग्रेस के इस प्रत्याशी के मैदान में उतरने से बीजेपी के जीत की राह आसन नहीं होगी। प्रमोद तिवारी के नाम से बीजेपी में जबरदस्त हलचल मच गई है। ऐसे में प्रमोद तिवारी को हराने के लिए बीजेपी मजबूत प्रत्याशी की तलाश के साथ प्रचार में भी पूरी ताकत झोंकती नजर आ रही है। फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी के दिग्गज नेताओं का फेरा तेज हो गया है।
9 बार जीत के रिकार्डधारी हैं प्रमोद तिवारी
प्रमोद तिवारी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। प्रमोद तिवारी आपातकाल के दौरान संजय गांधी के संपर्क में आए थे। उन्होंने 1980 में प्रतापगढ़ की रामपुर खास विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। जिसमंे उन्होंने शानदार जीत दर्ज की थी। उसके बाद से 2012 तक लगातार प्रमोद तिवारी 9 बार कांग्रेस से विधायक रहे हैं। लगातार इस जीत के लिए उनका नाम गिनीस बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज है।
दिग्गज नेताओ को अनुग्रह नारायण ने दी पटखनी
इलाहाबाद में कांग्रेस के अंदर अनुग्रह नारायण सिंह की गिनती दिग्गज नेताओं में की जाती है। अनुग्रह नारायण ने विपरित परिस्थितियों में भी कांगे्रस की झोली में जीत डाल अपनी सियासी चमक बिखेरी है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रनेता अनुग्रह नारायण ने 1985 में पहली बार अशोक वाजपेयी को बुरी तरह हरा देश की राजनीति में कदम रखा। इसके बाद 1991 से 2007 तक शहर उत्तरी में बीजेपी का कब्जा रहा। 2007 में कांग्रेस से अनुग्रह ने नरेंद्र सिंह गौर को पराजित किया। 2012 में बीजेपी ने अनुग्रह के खिलाफ बाहुबली नेता उदयभान करवरिया को मैदान में उतरा। लेकिन अनुग्रह के आगे सभी सियासी योद्धा धरासायी हो गए।
फूलपुर सीट कांग्रेस के लिए बनी प्रतिष्ठा
फूलपुर लोकसभा सीट 1952 में कांग्रेस को पंडित जवाहर लाल नेहरू की शानदार जीत के साथ विरासत में मिली थी। फूलपुर लोकसभा सीट ने पंडित नेहरू को देश का पहला प्रधानमंत्री बनने का गौरव दिया। 1964 तक पंडित नेहरू का फूलपुर सीट से सांसद रहे। 1984 में फूलपुर सीट पर कांग्रेस आखिरी जीत थी। कांग्रेस यहां सर्वाधिक सात बार जीत दर्ज कर चुकी है। जबकि सपा चार बार, बीजेपी एक बार, बीएसपी एक बार, जनता दल दो बार, एसएसपी एक बार, बीएलडी एक बार व जेडीएस एक बार जीती है। सर्वाधिक सात बार जीत दर्ज करने के कारण यह सीट कांगे्रस के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है।