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प्रयागराज

चयन के 23 साल बाद हाईकोर्ट ने नियुक्ति का दिया निर्देश, 1998 की पुलिस भर्ती में चयनित को नियुक्ति का निर्देश

Highcourt Orders Appointment Instructions After 23 Years of Selection- इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने 1998 की पुलिस भर्ती (Police Recruitment) में चयनित मुरादाबाद के कृष्ण कुमार को 23 साल बाद सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है।

प्रयागराजNov 19, 2021 / 10:47 am

Karishma Lalwani

Highcourt Orders Appointment Instructions After 23 Years of Selection

Highcourt Orders Appointment Instructions After 23 Years of Selection

प्रयागराज. Highcourt Orders Appointment Instructions After 23 Years of Selection. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने 1998 की पुलिस भर्ती (Police Recruitment) में चयनित मुरादाबाद के कृष्ण कुमार को 23 साल बाद सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है। एसपी कार्मिक, इंचार्ज डीआईजी स्थापना ने सत्यापन हलफनामे में तथ्य छिपाने के कारण याची को नियुक्ति देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट के इस पर पुनर्विचार करने संबंधित कहा कि भर्ती के 23 साल बाद विभाग को विचार करने का आदेश देना उचित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि याची को बहाल किया जाए लेकिन वह बकाया वेतन का हकदार नहीं होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने कृष्ण कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
जानकारी छिपाने पर नियुक्ति पर रोक

याची को 1998 की पुलिस भर्ती में चयनित किया गया था। लेकिन उसने अपने आपराधिक किस्से की जानकारी छिपाई थी जिस कारण उसे नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया। उसके खिलाफ 1991 में आपराधिक केस दर्ज हुआ था, जिसमें वह 1999 में बरी हो चुका है। नियुक्ति न मिलने पर याचिका ने चुनौती दी तो कोर्ट ने आदेश रद्द कर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। गलत जानकारी देने पर धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ, जिसके आधार पर नियुक्ति नहीं दी गई।
23 साल बाद नियुक्ति का निर्देश

याचिका पर अधिवक्ता राजेश यादव ने बहस की। 04 अगस्त, 2017 के इस आदेश को चुनौती दी गई। कोर्ट ने कहा कि जब हाईकोर्ट ने जानकारी छिपाने पर नियुक्ति से इनकार के आदेश को रद्द कर पुनर्विचार का निर्देश दिया तो उसी आधार पर दोबारा नियुक्ति देने से इनकार करना सही नहीं है। याची आपराधिक केस में बरी हो चुका है तो धोखाधड़ी के केस का कोई मायने नहीं है। कोर्ट ने कहा कि 23 साल बाद विभाग को भेजने के बजाय निर्देश देना उचित रहेगा और याची को कांस्टेबल पद पर सिविल पुलिस या कार्यालय में तैनात करने का निर्देश दिया।

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