इसे भी पढ़ें –यूपी का सबसे बड़ा पुस्तकालय जहां जुटते हैं किताबों के शौकीन, दुनियां भर में मशहूर है नाम
जिलाधिकारी भानुचन्द्र गोस्वामी के साथ अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व विभाग व एस़डीएम सदर सहित सम्बन्धित अधिकारी बाढ़ इलाको में डटे रहे। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिन क्षेत्रों मे मकान के अन्दर पानी आ गया है,वहां के लोगो को वहां से हटा कर उन्हें सुरक्षित जगह पहुंचाये जाय। उन्होंने कहा कि जलस्तर पर अधिकारी नजर बनाये रख हुए हैं।
जिलाधिकारी भानु चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि प्रशासन पूरी तरह से अपनी चौकस दृष्टि बनाये हुए है। इसके साथ ही जलभराव वाले क्षेत्रों पर फोकस रखा जा रहा है। जलभराव क्षेत्र मे फंसे लोगो के समीप के बाढ राहत शिविर मे लाया जा रहा है। उन्होने बताया की बाढ़ से प्रभावित लगभग 210 लोगो को पास के बाढ राहत शिविरों मे लाया गया है तथा लाये गये लोगों की समुचित व्यवस्था कर उनका ध्यान रखा जा रहा है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रो में जलभराव की स्थिति उत्पन्न होने पर प्रशासन पूरी तरह से तैयार है तथा जहां कहीं नाव आवश्यकता है वहां नाव लगाकर कार्य किया जा रहा है। बढ़ते हुए जलस्तर एवं जलभराव के क्षेत्र में 24 घंटे नजर रखी जा रही है। शहर में कुल 31 शिविर बनाये गये है जिसमें से 04 शिविर मे लोग आ गये है तथा एनडीआरएफ की टीम भी आ गयी है।
बता दें की प्रयागराज में गंगा यमुना के जलस्तर में पिछले तीन दिनों से लगातार बढ़ोतरी हो रही है। शहर के अधिकांश तटीय इलाकों में बाढ़ का असर दिख रहा है। एक सप्ताह पूर्व गंगा यमुना में डैम के पानी छोड़े जाने से बाढ़ का खतरा मंडराया था लेकिन उससे जल्द ही निजात मिल गई थी लेकिन अन्य प्रदेशो के बांध से छोड़े गये पानी ने शहर को एक बार फिर से बाढ़ की चपेट में ले लिया। इस बार गंगा और यमुना विकराल रूप धारण कर शहर के तटीय इलाकों में रहने वालों के लिए मुसीबत बन कर आई हैं। गंगा और यमुना के जलस्तर में लगातार तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जिससे शहर के अधिकांश तटीय इलाकों में बाढ़ क़ा ख़तरा मंडराने लगा है ज्यादातर तटीय इलाकों में रहने वालों ने बाढ़ राहत शिविरों में अपना डेरा जमा लिया है। आने वाले कुछ घण्टो में अगर बढ़ते जलस्तर में गिरावट नही हुई तो शहर के लोग एक बाद फिर से बाढ़ क़हर से जूझेगें।जिला प्रशासन द्वारा रात दस बजे तक जारी किये आकड़ों के मुताबिक़ फाफामऊ 84 .08 छतनाग 83 .35 नैनी 83.92 मीटर तक पंहुचा है जबकि खतरे का निशान 84.743 मीटर है।