लखनऊ के दिनेश श्रीवास्तव ने एडीजी जोन प्रेम प्रकाश से शिकायत करते हुए प्रयागराज से फर्जी वेबसाइट संचालित होने और इसका ऑफिस सिविल लाइंस में होने की जानकारी दी थी। एडीजी के निर्देश पर प्रयागराज पुलिस ने इसका भंडाफोड़ करने और इसके संचालकों को पकड़ने के लिये एक स्टिंग ऑपरेशन प्लान किया।
एक महिला कांस्टेबल अनिता को कस्टमर और एसओ दीपा सिंह को उनकी मां बनाकर मैट्रिमोनियल साइट के दफ्तर भेजा गया। वहां उनसे रजिस्ट्रेशन के लिये कहा गया और छह महीने के सब्सक्रिप्शन के लिये 6 हजार और एक साल के लिये 12 हजार रुपये फीस बताई गई। रजिस्ट्रेशन कराने के बाद लड़के लड़कियों की फोटो और बायोडेटा उपलब्ध कराया जाएगा।
रजिस्ट्रेशन कराने के बाद कस्टमर बनी कांस्टेबल के मोबाइल पर भी बायोडेटा आने लगे। पर जब उन्हें क्राॅस चेक किया गया तो ये सब फर्जी निकले इसके बाद तत्काल फोर्स बुलाई गई। पुलिस ने कार्यालय पर छापेमारी की। महिला थाना प्रभारी ने मीडिया से बताया कि कार्यालय चलाने वाला संचालक वीरेंद्र नाम का व्यक्ति फरार है। कुछ लड़िकयां काम करती थीं जिन्हें पूछताछ के बाद छोड़ने की बात कही गई। आरोपी वीरेन्द्र के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने के आरोप में सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज की जा रही है।
ऐसे करते थे धोखाधड़ी
प्रयागराज एसपी सिटी के मुताबिक जो लोग रजिस्ट्रेशन कराते थे उन्हें उनकी पसंद के हिसाब से लड़के-लड़कियों की फोटो व मोबाइल नंबर दिये जाते थे। कस्टमर बनकर पहुंची महिला सिपाही को भी शुभम नाम के युवक का नंबर दिया गया। काॅल करने पर पहले तो उसने दूल्हे की तरह बात की, लेकिन जब उससे और सवाल किया जाने लगा तो फोन स्विच ऑफ कर दिया। उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच में पुलिस को पता चला है कि कंपनी से जुड़े लोग ही दूल्हा दुल्हन बनकर कस्टमर से बात करते थे। कुछ दिन बाद मोबाइल नंबर बंद कर दिया जाता था। रजिस्ट्रेशन कराने वालों से कहा जाता था कि उनका काम केवल परिचय कराना है।