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दरअसल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर ने पत्र लिखा है, कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रशासन को बैठक करके स्थायी समिति गठित करने का निर्देश दिया था। बीते 20 अप्रैल को कमिश्नर, एडीजी ने बैठक कर तीन स्तर पर समिति भी बनाई ।आरोप लगाया कि यह कमेटी की जिला बैठक प्रशासन की लापरवाही से नहीं हो पा रही है। जिला प्रशासन समस्याओं को सुलझाने के बजाय विवि प्रशासन पर ही आरोप मढ़ है। जानकारी के मुताबिक पत्र में यह भी कहा गया है कि 25 मई को एडीएम सिटी ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर कानून-व्यवस्था बिगाड़ने का आरोप लगाया। दोबारा 6 सितंबर को डीएसडब्ल्यू और चीफ प्रॉक्टर को अपमानित किया गया। पत्र में आरोप लगाया गया है कि जिलाधिकारी ने विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों को एक घंटे में अपने कार्यालय में नहीं पहुंचने पर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने और जांच समिति गठित करने की धमकी देते हुए ,अपमानित किया।
विवि के प्रॉक्टर द्वारा लिखे गए पत्र में राज्यपाल और मुख्यमंत्री से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संबद्ध ट्रस्ट के छात्रावास हॉलैंड हाल का भी मामला उठाया गया है प्रॉक्टर कहा गया है कि हासिल की बिजली का बिल 7 करोड़ रुपए जिला प्रशासन नहीं वसूल कर सका । बिजली काटने पर छात्रों ने जब रास्ता जाम किया तो जिलाधिकारी और एडीएम ने प्रॉक्टर पर कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का आरोप लगाकर उन्हें अपमानित किया। पत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर रामसेवक दुबे ने यह भी कहा है कि विश्वविद्यालय के अधिनियम का उल्लंघन करते हुए डीएम और एडीएम ने कक्ष आवंटन किया । साथ ही एक शिक्षक से फोन पर अमर्यादित तरीके से बात की गई जो निंदनीय है। बता दें की इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हॉलैंड हाल छात्रावास का बिल भुगतान न होने से छात्रावास का आवंटन नही हो पा रहा है।