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राहुल गाँधी को जिम्मेदारी मिलते ही पार्टी का पतन शुरू
उन्होंने कहा की 2004 में कांग्रेस विजयी हुई तब जीत का श्रेय राहुल गांधी को मिला। 2009 में भी राहुल को जीत का श्रेय दिया गया लेकिन उनको कोई योगदान नहीं था। उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी जनरल सेक्रेटरीए वाइस प्रेसिडेंट और प्रेसिडेंट बने तब से कांग्रेस के पतन का सिलसिला शुरू हो गया। कहा की राहुल गरीबों की झोपड़ी में जाते थे इस काम से अच्छा संदेश जाता था। लेकिन निरंतरता नहीं बना पाए। जब देश निर्भया कांड पर उद्वेलित था तो राहुल गांधी अपनी विदेश यात्रा का मोह नहीं छोड़ पाए। ठीक चुनाव से लोकसभा में अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गले से लिपट गए फिर संसद में आंख मारने का भी काम किया। आखिर कांग्रेस के कार्यकर्ता इन सब बातों का कहां तक बचाव करते। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को न पहले कार्यकर्ताओं के बारे में कुछ पता था न आज उन्हें कार्यकर्ताओं की जानकारी है। कुछ लोगों से राहुल गांधी घिरे रहते हैं और कुछ लोग राहुल गांधी के संपर्क में आते है। आम कार्यकर्ता मायूस होता रहता है।
कांग्रेस की परंपरा को राहुल ने समाप्त किया
उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के दौरे का कार्यक्रम बनता है जिसमें चुनिंदा लोगों के नाम की लिस्ट बनाई जाती है। उन्ही से उनको मिलना होता है । हजारों हजार कार्यकर्ता सिर्फ नारे लगाकर वापस ले जाते है। भारी मन से कहा कि नेहरूए इंदिराएराजीव जब भी इलाहाबाद आते थे तो स्वराज भवन में तीन चार हजार लोग उनसे मिल लेते थे। जनता भी आकर मिलती थी। लेकिन सोनिया और राहुल गांधी ने सिलसिले को खतम दिया है। उन्होंने कहा कि अभी तक तय नही है कि एआईसीसी की बैठक कौन बुलायेगा। अगला अध्यक्ष वही चुन सकती है। सीडब्लूसी मात्र अंतरिम है। अजीब स्थिति में कांग्रेस आ गई है। रामकृष्ण पांडे ने राहुल गांधी से अपील किया कि थोड़ा सामान्य होकर चिंतन करें । एआइसीसी का सेशन तत्काल आहूत किया जाए। कहा कि अब अगर ज्यादा आप देर करेंगे तो कर्नाटक, गोआ के बाद और भी राज्यस्थान मध्य प्रदेश राजस्थान आदि भी हाथ से निकल जाएंगे। यही नहीं सांसदों के भी बागी होने का नम्बर आ सकता है।
पीएम लोकतंत्र का मोदी सरकार जनाजा निकाल रहे
उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री मोदी रोज सार्वजनिक प्रतिष्ठान बेचे दे रहे हैं। रेल,एयरपोर्ट,स्टेशन,सरकारी कम्पनी,बीएसएनएल उसके बावजूद पूरी कांग्रेस ठप्प करके मौन है। राहुल गांधी वायनाड अमेठी के दौरे पर चले गए जो नहीं जरूरी था। विपक्ष देश में महसूस नही हो रहा कार्यकर्त्ता निराश हो रहे है । प्रधानमंत्री की निजी करण की नीतियाँ लोकतंत्र के ये घातक है ।