इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। जस्टिस शुक्ला यूपी पर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के प्रवेश में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गड़बड़ी करने के आरोप लगे हैं । आरोप है की मेडिकल कॉलेज को फायदा पहुंचाने के लिए जस्टिस शुक्ला ने 2017. 18 में प्रवेश की डेट बढ़ाई थी। चीफ जस्टिस के इस फैसले के बाद एशिया के सबसे बड़े हाईकोर्ट में खलबली मची है । किसी जस्टिस के खिलाफ यह एतिहासिक निर्णय हुआ है जब जज के ही खिलाफ जाँच की जाएगी ।
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जानिए कौन है सौरभ शुक्ला ,आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के लिए करता था काम बता दें कि इस मामले में सीबीआई निदेशक ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को पत्र लिखकर जस्टिस एसएन शुक्ला पर लगे आरोपों की जांच करने की इजाजत मांगी थी।पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी जिसमें चीफ जस्टिस ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज एसएन शुक्ला को पद से हटाने के लिए संसद में प्रस्ताव लाने को कहा था । बीते साल जस्टिस दीपक मिश्रा ने भी प्रधानमंत्री को जस्टिस शुक्ला को हटाने के लिए कह चुके थे।
जानकारी के मुताबिक 2017 में यूपी सरकार के एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह ने जस्टिस शुक्ला के आदेश पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।उस समय के तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसके अग्निहोत्री और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बीके जयसवाल की इन हाउस कमेटी से इन आरोपों की जांच कराई थी। जांच कमेटी ने रिपोर्ट में साफ किया था कि जस्टिस शुक्ला के खिलाफ पर्याप्त सुबूत है। इसलिए उन्हें अभिलंब हटाया जाना चाहिए डेढ़ साल पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बने इन हाउस पैनल ने जस्टिस शुक्ला को नियति से अपने अधिकारों का दुरुपयोग का दोषी मानते हुए इन को पद से हटाने की सिफारिश की थी। जस्टिस शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर निजी मेडिकल कॉलेज को दाखिले की समय सीमा बढ़ाने की छूट दी थी।