गौरतलब है कि मामले की पिछली सुनवाई 23 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई थी।हाईकोर्ट में करीब डेढ़ घंटे तक सुनवाई चली थी । जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने चिन्मयानंद की ब्लैक मेलिंग मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगाने को लेकर छात्रा की ओर से दाखिल अर्जी को ठुकरा दिया था ।अदालत ने कहा था कि यह स्पेशल बेंच है जो सिर्फ एसआईटी की मॉनिटरिंग करेगी। हालांकि जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस मंजू रानी चौहान की खंडपीठ ने छात्रा से कहा था कि गिरफ्तारी पर रोक के लिए अलग से नियमित कोर्ट में अर्जी दाखिल की जा सकती है।
अदालत में छात्रा द्वारा मजिस्ट्रेट के सामने 164 का बयान दोबारा दर्ज कराए जाने की अनुमति भी ठुकरा दी थी। अदालत ने कहा था कि छात्रा ट्रायल कोर्ट में इसके लिए अर्जी दाखिल कर सकती है या कोर्ट निचली अदालत के काम में दखल नहीं देगी छात्रा ने मजिस्ट्रेट बयान के दौरान एक अनजान महिला के मौजूद रहने व सिर्फ अंतिम पेज पर ही दस्तखत कराने का सुनवाई के दौरान आरोप भी लगाया था ।अदालत ने यूपी सरकार की ओर से इस मामले में सुनवाई बंद कमरे में किए जाने की मांग भी अस्वीकार कर दी थी। मामले की सुनवाई शुरू होने पर सबसे पहले इस आईटी ने सीलबंद लिफाफे में जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट अदालत के सामने रखी। एसआईटी ने तीन लिफाफे में अदालत को प्रोग्रेस रिपोर्ट सौंपी थी एसआईटी आईजी नवीन अरोड़ा ने सुबूत के तौर पर सुबूत के तौर पर पेन ड्राइव सीडी और अन्य दस्तावेज कोर्ट में पेश किए थे। हालांकि अदालत एसआईटी की तब तक की जात से फौरी तौर पर संतुष्ट नजर आई थी। कोर्ट ने एसआईटी को 22 अक्टूबर को अगली प्रोग्रेस रिपोर्ट दाखिल करने का आर्देश दिया था।