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कभी बंगले के सामने सिर नहीं झुकाने पर उठा लेते थे अतीक के गुर्गे, अब पसरा है सन्‍नाटा

भले ही अतीक के साथ उसके खौफ का भी खात्मा हो गया हो, लेकिन एक दौर वो था कि बंगले के सामने सड़क पर गुजरते समय लोग सिर झुका लेते थे। अब बस वहां पर मलबा पड़ा है।

प्रयागराजApr 20, 2023 / 05:35 pm

Aman Pandey

atiq ahmed gaddi

अतीक ने बताया था उसे ना पढ़ पाने की कमी होती है महसूस

प्रयागराज के बाहुबली माफिया अतीक अहमद और अशरफ अब इस दुनिया में नहीं हैं। दोनों की मौत के बाद तमाम ऐसे लोग सामने आ रहे हैं, जो अतीक के जुल्म के शिकार हुए। इसके बारे में याद कर आज भी इलाके के लोग सिहर उठते हैं। अतीक की हनक के पीछे था उसका क्रूर व्यवहार। अतीक के सामने लोग झुकते थे तो इसकी वजह सम्मान नहीं बल्कि खौफ था। चकिया में बंगले की जगह जहां पर आज मलबा पड़ा है, कभी आलम यह था कि वहां से सड़क पर गुजरते समय तमाम लोग सिर झुका लेते थे।
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प्रयागराज के पुराने चकिया मुहल्ले में 60 के दशक में फिरोज नाम का एक तांगेवाला रहता था। फिरोज के घर 10 अगस्त 1962 को बेटे का जन्म हुआ। फिरोज ने लड़के का नाम रखा अतीक। अतीक के पिता फिरोज उन्हें पढ़ाना चाहते थे। ताकि बेटा नौकरी पा जाए या कोई कामधंधा कर ले, लेकिन इसके इतर अतीक का पढ़ाई लिखाई में कोई खास रुचि नहीं थी।
अतीक ने हाई स्कूल में फेल हो जाने के बाद पढ़ाई छोड़ दी। पढ़ाई छोड़ देने के बाद अतीक अहमद ने जुर्म की दुनिया की तरफ अपना रूख किया। अतीक अहमद जल्द ही अमीर बनना चाहता था। इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार था।
17 साल की उम्र में दर्ज हुआ मुकदमा
अतीक जब स्कूल में था तो चकिया में चांद बाबा नाम के गुंडे का सिक्का चलता था। अतीक का चांदबाबा से टकराव हुआ और नतीजा ये हुआ कि उसने चांद बाबा के गैंग को खत्म कर दिया। बात 1979 की है, जब 17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर पहला हत्या का आरोप लगा। इसके बाद अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल दर साल उनके जुर्म की किताब के पन्ने भरते जा रहे थे। अतीक अहमद का खौफ इतना हो गया कि उन्होंने इलाहाबाद के चकिया और आस-पास के इलाको में रंगदारी वसूलने का धंधा शुरू कर दिया। अतीक रंगदारी के अलावा खनन और सरकारी काम का ठेका लेना शुरू कर दिया।
एक सामान्य काश्तकार और तांगा चलाने वाले हाजी फिरोज के बेटे अतीक अहमद ने चार दशक तक गुंडाराज कायम रखा। चकिया में उसके पुश्तैनी भवन के हाल और बगीचे में अतीक अहमद का दरबार लगता था, जिसमें नेता से लेकर अधिकारी तक शामिल होते और वो फरमान जारी करता था। अतीक का बंगला लोगों के लिए आकर्षण और कौतुहल का केंद्र था, लेकिन किसी की मजाल नहीं थी कि वहां ठहरकर गेट की तरफ झांक सके। गाड़ी का हार्न बजाने वाले को अतीक के आदमी पीछा करके पकड़ लेते। फिर उसे बंगले में लाकर अतीक के सामने पेश किया जाता। अतीक धमकाता और पिटवाकर छोड़ देता।
महंगी गाड़ियों का था शौकिन
माफिया अतीक के बारे में कहा जाता है कि उसे लग्जरी गाड़ियों की सवारी और उन्हें अपने काफिले में शामिल कराना बेहद पसंद था। अतीक के पास लैंड क्रूजर, मर्सिडीज और एसयूवी गाड़ियों के साथ ही तकरीबन आठ करोड़ रूपये की लागत वाली अमेरिकन कंपनी की वो हमर कार भी थी, जिसका प्रदर्शन उसने 2017 के विधानसभा इलेक्शन के दौरान कानपुर में किया था। बिना नंबर की ये कार उस वक्त हफ्तों सुर्खियों में रही थी।
थानों में भी अतीक के आदमी देते थे आदेश
अतीक का खैफ ऐसा था कि थानों में या तो उसका आदेश चलता या फिर उसके गुर्गे जाकर मनमानी करते। किसी भी पकड़े गए शख्स को थाने से छुड़ा लाते और अपने विरोधी या दुश्मन को थाने ले जाकर पीटते तथा धमकाते थे।

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