कॉल्विन अस्पताल के बाहर दोहराया गया अतीक-अशरफ की हत्या का सीन, जानें एक-एक सेकेंड का घटनाक्रम
प्रयागराज के पुराने चकिया मुहल्ले में 60 के दशक में फिरोज नाम का एक तांगेवाला रहता था। फिरोज के घर 10 अगस्त 1962 को बेटे का जन्म हुआ। फिरोज ने लड़के का नाम रखा अतीक। अतीक के पिता फिरोज उन्हें पढ़ाना चाहते थे। ताकि बेटा नौकरी पा जाए या कोई कामधंधा कर ले, लेकिन इसके इतर अतीक का पढ़ाई लिखाई में कोई खास रुचि नहीं थी।अतीक जब स्कूल में था तो चकिया में चांद बाबा नाम के गुंडे का सिक्का चलता था। अतीक का चांदबाबा से टकराव हुआ और नतीजा ये हुआ कि उसने चांद बाबा के गैंग को खत्म कर दिया। बात 1979 की है, जब 17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर पहला हत्या का आरोप लगा। इसके बाद अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल दर साल उनके जुर्म की किताब के पन्ने भरते जा रहे थे। अतीक अहमद का खौफ इतना हो गया कि उन्होंने इलाहाबाद के चकिया और आस-पास के इलाको में रंगदारी वसूलने का धंधा शुरू कर दिया। अतीक रंगदारी के अलावा खनन और सरकारी काम का ठेका लेना शुरू कर दिया।
माफिया अतीक के बारे में कहा जाता है कि उसे लग्जरी गाड़ियों की सवारी और उन्हें अपने काफिले में शामिल कराना बेहद पसंद था। अतीक के पास लैंड क्रूजर, मर्सिडीज और एसयूवी गाड़ियों के साथ ही तकरीबन आठ करोड़ रूपये की लागत वाली अमेरिकन कंपनी की वो हमर कार भी थी, जिसका प्रदर्शन उसने 2017 के विधानसभा इलेक्शन के दौरान कानपुर में किया था। बिना नंबर की ये कार उस वक्त हफ्तों सुर्खियों में रही थी।
अतीक का खैफ ऐसा था कि थानों में या तो उसका आदेश चलता या फिर उसके गुर्गे जाकर मनमानी करते। किसी भी पकड़े गए शख्स को थाने से छुड़ा लाते और अपने विरोधी या दुश्मन को थाने ले जाकर पीटते तथा धमकाते थे।