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प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट राज्य सरकार सरकार से मांगा जवाब, जानिए वजह

याचिका की अगली सुनवाई 25अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर व न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सोसायटी फार वायस आफ ह्यूमन राइट्स एण्ड जस्टिस व इसके अध्यक्ष राज कुमार कौशिक की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आरएन यादव व अभिषेक कुमार यादव ने बहस की। इनका कहना है कि लोनी व सदर तहसील के उप निबंधकों व तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष की मिलीभगत से सरकार को मिलने वाले शुल्क का भारी नुक़सान हो रहा है।

प्रयागराजMar 26, 2022 / 12:40 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट राज्य सरकार सरकार से मांगा जवाब, जानिए वजह

इलाहाबाद हाईकोर्ट राज्य सरकार सरकार से मांगा जवाब, जानिए वजह

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद की लोनी व सदर तहसील में जनरल पावर आफ अटार्नी के जरिए जमीन की खरीद फरोख्त पर रोक लगाने तथा पिछले पांच वर्षों में जमीन हस्तांतरण से सरकारी खजाने को हुए नुकसान की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई 25अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर व न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सोसायटी फार वायस आफ ह्यूमन राइट्स एण्ड जस्टिस व इसके अध्यक्ष राज कुमार कौशिक की जनहित याचिका पर दिया है।
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याचिका पर अधिवक्ता आरएन यादव व अभिषेक कुमार यादव ने बहस की। इनका कहना है कि लोनी व सदर तहसील के उप निबंधकों व तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष की मिलीभगत से सरकार को मिलने वाले शुल्क का भारी नुक़सान हो रहा है। अधिकारी व स्टाफ अनुचित लाभ लेकर जनरल पावर आफ अटार्नी पंजीकृत कर जमीन का स्थानान्तरण करा रहे हैं।12 लाख 85 हजार की जमीन मात्र 90 हजार के स्टैंप पर 20100 रूपये का शुल्क लेकर हस्तांतरण किया गया है। इसी प्रकार अधिकारी पैसे लेकर सरकारी खजाने को नुक्सान पहुंचा रहे हैं।
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याची का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि जनरल पावर आफ अटार्नी से जमीन पर किसी को कोई अधिकार नहीं मिलेगा। सहायक आई जी रजिस्ट्रेशन गाजियाबाद ने सभी उप निबंधकों को जनरल पावर आफ अटार्नी से जमीन हस्तांतरण न करने का निर्देश दिया है।जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। याचिका में छः उप निबंधकों भोला नाथ वर्मा, रवीन्द्र मेहता,नवीन‌शर्मा, सुरेश चंद्र मौर्य, हनुमान प्रसाद,व नवीन राय को पक्षकार बनाया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जानकारी मांगी है और जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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