न्यायालय में याची की ओर से तर्क दिया गया कि कानपुर जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कानपुर नोटिस जारी करते हुए जानकारी दी गई है कि अतिक्रमण बना हुआ है और इसे तीन दिन में हटा ले। अतिक्रमण से यातायात प्रभावित हो रहा है। जिसकी वजह से दुर्घटना की संभावना बनी हुई है। इसीलिए अतिक्रमण नहीं हटा तो राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत प्राधिकरण उसे हटा देगा।
मामले में याची ने कहा कि उसने कोई अतिक्रमण नहीं किया है और उसके अभ्यावेदन पर सुनवाई नहीं की गई। इसके साथ ही नोटिस को भी सही तरीके से नहीं भेजा गया है। और न ही किसी भी तरह का मुआवजा दिया गया है।
मामले में यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने केंद्र सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है।इलाहाबाद स्थित केंद्रीय प्रशानिक अधिकरण की पीठ ने केंद्र सरकार के कर्मचारी रामप्रसाद की सेवा समाप्ति आदेश को अंतरिम आदेश के माध्यम से स्थगित कर दिया था। जिसको भारत सरकार द्वारा याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी ।