यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने जौनपुर के प्रहलाद गुप्ता की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में कहा गया है कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर हत्या के सात मामलों सहित कुल 24 मुकदमे चल रहे हैं। यह भी कहा गया है की वाई श्रेणी की सुरक्षा मिलने के बाद भी उनके खिलाफ चार आपराधिक मामले दर्ज हुए। ऐसे में आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति को ब्लैक कैट कमांडो वाली उच्च स्तरीय सुरक्षा मुहैया कराना गलत है।
कोर्ट के यह पूछे जाने पर कि धनंजय सिंह को यह सुरक्षा पेमेंट पर मिली है या निःशुल्क तो बताया गया कि उन्हें यह सुरक्षा निःशुल्क मिली है। इस पर कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से 25 मई तक जानकारी मांगी है।
कौन हैं धनंजय सिंह: धनंजय सिंह की पहचान एक बाहुबली नेता के रूप में है। धनंजय साल 2002 में रारी विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बने। उसके बाद साल 2004 के लोकसभा चुनाव में जौनपुर संसदीय क्षेत्र चुनाव लड़े लेकिन सफल नहीं हो सके। 2007 के विधानसभा चुनाव में रारी सीट से विधायक बने। धनंजय सिंह ने साल 2008 में बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन कर ली और 2009 में जौनपुर से बीएसपी सांसद बने। 2009 में अपने पिता राजदेव सिंह को भी बीएसपी के टिकट कर सीट पर जीत दिलवाई। साल 2012 धनंजय ने अपनी दूसरी पत्नी डॉ. जागृति सिंह को मल्हनी सीट से चुनाव लड़ाया लेकिन जिता नहीं सके। उसके बाद साल 2014 धनंजय ने जौनपुर लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा। साल 2017 में धनंजय सिंह ने एक बार फिर मल्हनी विधानसभा सीट से भाग्य आजमाया, लेकिन इस बार भी वे हार गए।
BY- Court Corrospondence