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प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार आरोपी के सजा में क्यों किया संसोधन, जाने मुख्य वजह

मामले में न्यायालय ने 2013 के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, मेरठ द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376G और धारा 506 के तहत पारित आदेश के खिलाफ बलात्कार के दोषी भूरा द्वारा दायर एक आपराधिक अपील से निपट रहा था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, मेरठ ने आईपीसी की धारा 376जी के तहत अपीलकर्ता/दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और दोषी ठहराया।

प्रयागराजMar 13, 2022 / 01:53 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार आरोपी के सजा में क्यों किया संसोधन, जाने मुख्य वजह

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार आरोपी के सजा में क्यों किया संसोधन, जाने मुख्य वजह

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी में सजा काट करे आरोपी को राहत दी है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए 32 वर्षीय बलात्कार के दोषी को मिले आजीवन कारावास की सजा में संशोधन किया है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोषी की सजा को 13 साल के कठोर कारावास में बदल दिया। सजा की इस अवधि को वह पहले ही काट चुका है। मामले में यह आदेश जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस ओम प्रकाश त्रिपाठी की खंडपीठ ने यह देखते हुए सुनाया है। मामले में शिकायतकर्ता उम्र लगभग 14 वर्ष थी और दोषी 19 वर्षीय विवाहित व्यक्ति था। अदालत ने यह भी नोट किया कि शिकायतकर्ता ने बाद में शादी की और शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन को अच्छे ढंग से जी रहा है।
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मामले में न्यायालय ने 2013 के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, मेरठ द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376G और धारा 506 के तहत पारित आदेश के खिलाफ बलात्कार के दोषी भूरा द्वारा दायर एक आपराधिक अपील से निपट रहा था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, मेरठ ने आईपीसी की धारा 376जी के तहत अपीलकर्ता/दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और दोषी ठहराया।
मामले में दोषी की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की और ट्रायल कोर्ट के निर्णय और आदेश का अवलोकन किया। सुनवाई के दौरान जोड़े गए साक्ष्यों को ध्यान में रखा और उसके बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि पूरी तरह से विश्वसनीय साक्ष्य के आधार पर अभियोजन पक्ष ने उचित संदेह से परे साबित कर दिया कि आरोपी भूरा@भूरा ने 3 मार्च, 2009 को पीड़िता के साथ रेप किया।
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इसी आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को आईपीसी की धारा 376 (जी) और 506 के तहत आरोपों के लिए दोषी ठहराया और हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता की सजा की पुष्टि की। इसके अलावा, अदालत ने अपीलकर्ता की इस दलील को ध्यान में रखा कि घटना के समय उसकी उम्र 19 साल थी। तब से वह लगभग 13 साल से कैद में है और वर्तमान में 32 साल का है। वह एक विवाहित व्यक्ति है। इसके अलावा, शिकायतकर्ता ने भी विवाह किया है और शांतिपूर्ण सुखी वैवाहिक जीवन जी रही है।

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