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30 किलो की है ताले की चाबी उन्होंने बताया कि इसका वजन चार सौ किलो है। लम्बाई दस फिट की है। चैड़ाई साढ़े चार फिट की है। 30 किलो की चाबी है। इसे बनाने में कुल दो लाख का खर्च आया है। अभी एक लाख रुपए में तैयार किया गया है। मंदिर में देने से पहले सत्यप्रकाश इसमें पीतल का काम करेंगे। इससे पहले इन्होंने 300 किलो का ताला बनाया था जिसकी खूब चर्चा रही है। उन्होंने बताया कि अयोध्या के लिए भेजने से पहले इस ताले में कई बदलाव किए जाएंगे। बाक्स, लीवर, हुड़का को पीतल से तैयार किया जाएगा। ताले पर स्टील की स्क्रेप सीट लगाई जाएगी। जिससे जंग न लगे। इसके लिए उन्हें और धन की अवश्यकता है। वह मदद के लिए लोगों से कह रहे हैं। जिससे उनकी इच्छा पूरी हो सके।शर्मा ने बताया कि ताला बनाने की प्रेरणा उनके घर से विरासत में मिली है। करीब 65 वर्षीय सत्यप्रकाश मजदूरी पर ताला तैयार करते हैं। उनका कहना है कि कारोबार क्षेत्र में तो काफी पहचान बना ली है। अब तो इस कारोबार को नई पीढ़ी उड़ान दे। अलीगढ़ की पहचान बनाने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा ताला बनाकर तैयार कर दिया है। छह इंच मोटाई का यह ताला लोहे का है। इसके लिए दो चाबी तैयार की गई हैं। चार फीट का ताले का कड़ा है। इस कला को बढ़ावा देने के लिए सरकारी मदद की जरूरत है। अभी जो काम किया है। उसके लिए ब्याज में पैसे लेकर काम किया है। उन्होंने बताया कि यह ताला मंदिर के म्यूजियम रखा जाए।
गिनीज बुक में दर्ज करवाना चाहते है रिकॉर्ड
ताला बनाने वाले शर्मा ने कहा कि उनकी चाहत है कि 26 जनवरी को नई दिल्ली की परेड में वह इससे बड़े ताले की झांकी बनाना चाहते हैं। बस उनका यह हुनर दिल्ली में होने वाली परेड में शामिल कर लिया जाए। जिसकी उचांई 15 फिट और चौड़ाई 8 फिट की होगी। मोटाई 20 इंची होगी। इसके लिए उन्होंने केन्द्र व राज्य सरकार को पत्र भी लिखे। इस सिलसिले में वह उपमुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं। जवाब का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसे गिनीज बुक के रिकॉर्ड में दर्ज करवाना चाहते है।
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पत्नी के सहयोग से तैयार किया ताला
सत्यप्रकाश की पत्नी रुक्मणी शर्मा ने भी इस ताले को बनाने में सहयोग किया है। उन्होंने भी इसकी खूबियों का बखान किया। उनका कहना है कि अयोध्या में भगवान राम का अद्भुत मंदिर बन रहा है। वहां पर यह ताला होगा तो अच्छा रहेगा। इसलिए इसे भगवान के दरबार में भेंट किया जाएगा।