राजस्व रिकार्ड में सर्वराकार का नाम दर्ज है
श्री गंगा महारानी मंदिर के भवन पर वाजिद अली पिछले 40 साल से कब्जा कर रह रहा था। उसने खुद को सहकारी समिति का चौकीदार बताया, लेकिन सहकारिता विभाग और राजस्व रिकॉर्ड में उसका कोई प्रमाण नहीं मिला। मंदिर की जमीन राजस्व रिकॉर्ड में श्री गंगा महारानी सर्वराकार जगन्नाथ चेला नरायन दास के नाम दर्ज है। साधन सहकारी समिति के सचिव ने वाजिद अली को कई बार नोटिस जारी किए, लेकिन वह हटने को तैयार नहीं हुआ। डीएम के आदेश पर सहकारिता विभाग और प्रशासन ने जांच शुरू की, जिसमें वाजिद के चौकीदार होने का दावा खारिज कर दिया गया।मंदिर से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी
राकेश सिंह, जो मंदिर के पूर्व प्रबंधक लक्ष्मण सिंह के वंशज हैं। उन्होंने बताया कि यह मंदिर करीब 150 साल पुराना है। 1905 में मंदिर को गंगा महारानी ट्रस्ट के नाम पर पंजीकृत किया गया था। मंदिर में गंगा महारानी की अष्टधातु की मूर्ति, शिवलिंग, और शिव परिवार की मूर्तियां स्थापित थीं। 1956 में सहकारी समिति की जरूरत पर मंदिर के दो कमरे किराए पर दिए गए, लेकिन शेष परिसर में पूजा-पाठ जारी रहा।1975-76 में वाजिद अली ने खुद को सहकारी समिति का चौकीदार बताकर भवन पर कब्जा कर लिया। 1980 में सहकारी समिति ने अपना कार्यालय शिफ्ट कर लिया, लेकिन वाजिद ने भवन खाली नहीं किया। आरोप है कि उसने मंदिर की मूर्तियां हटाकर 250 वर्ग मीटर के पूरे परिसर पर कब्जा कर लिया और मंदिर के कुओं को भी पाट दिया।