पीडि़ता अस्पताल की स्पेशल वार्ड की इंचार्ज चन्द्रावती के पति (मेल नर्स ग्रेड प्रथम) ने बताया कि जेएलएन अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद पत्नी की तबियत अचानक बिगड़ गई। इसके बाद से मित्तल अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. रणवीर सिंह को दिखाया जहां उन्होंने जांचें लिखी। जांचों में ब्लड यूरिया 240 एवं सीरम क्रिटेनिनि 13.20 तक आ गया। इसके चलते डायलिसिस की आवश्यकता बताई। चिकित्सक की सलाह पर पीडि़ता को डायलिसिस किया गया।
हालत में मामूली सुधार नेफ्रॉलॉजिस्ट के अनुसार जो इंजेक्शन लगाया गया था उसका असर किडनी पर पड़ा और हालत गंभीर हो गई। डायलिसिस के बाद मरीज की हालत में मामूली सुधार बताया जा रहा है। पीडि़ता के पति ने बताया कि इस तरह की गंभीर लापरवाही से उसकी पत्नी की स्थिति खराब हो गई है, इसके जिम्मेदार रेजीडेंट चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ पर कार्रवाई होनी चाहिए।
यह था मामला
विगत 5 जनवरी की शाम चन्द्रावती को कैज्युल्टी में दिखाया और उसे ईएमयू में भर्ती कर लिया। तबियत ज्यादा खराब होने पर रात्रि 8.30 बजे रेजीडेंट चिकित्सक ने बीबी कंट्रोल के लिए एक इंजेक्शन बाजार (मेडिकल स्टोर) से मंगवाया। जेएलएन में ही प्रथम श्रेणी मेल नर्स के पद पर कार्यरत पति ने इंजेक्शन लाकर नर्सिंग स्टाफ को दिया, जिसको फिमेल नर्स स्टाफ ने सीधा कैनुला में जोर से पुश कर दिया।
बिगड़ गई थी हालत
इंजेक्शन लगते ही मरीज की हालत गंभीर हो गई, मरीज बी.पी एवं पल्सलेस हो गई और मरीज एक दम कोलेप्स हो गई और मरीज का सीपीआर हो गया। वेंटीलेटर खराब होने पर बाहर से एम्बुलेंस व ऑक्सीजन सिलैण्डर लाकर पति ने आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट करवाया। जहां पर मरीज को गंभीर हालत में वेंटीलेटर पर लिया। जहां सुबह (तडक़े) करीब 3 बजे होश आया और बी.पी.और पल्स भी आया। ईएमयू वार्ड में बीपी 190/100 था फिर भी इंजेक्शन लगा दिया।