पत्रिका से बातचीत में डॉ. रीना ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने तीन वर्ष पूर्व बेटियां अनमोल हैं…कार्यक्रम की शुरुआत की थी समूचे राजस्थान से वॉलेन्टियर बनाए गए। कन्या भ्रूण हत्या रोकथाम और समाज में कन्याओं के प्रति सकारात्मक समझाइश लक्ष्य था। अजमेर से मैं स्वेच्छा से मिशन में जुड़ी। राह कठिन थी पर शुरूआत से मैंने कुछ कर गुजरने की ठान ली।
बेटियों को कम पढ़ाने और जल्द शादी जैसी परम्पराएं हावी हैं। चुनौतियों के बीच समझाना आसान नहीं था, लेकिन डॉ. रीना ने हिम्मत नहीं हारी। वे ग्रामीण इलाकों में स्कूल-पंचायत स्तर पर समझाइश के लिए पहुंची। घरों में बुजुर्गों, महिलाओं और पुरुषों से बातचीत शुरू की। बेटी और बहू कैसे दो घरों को रोशन करती हैं,इसकी जानकारी दी। समझाइश का तुरन्त असर नहीं हुआ, लेकिन धीरे-धीरे वे उनकी सोच को बदलने में कामयाब हुई। अब कई विवाहिताएं और परिजन फोन कर बेटी पैदा होने की सूचना देते हैं, तो वे खुद भावुक हो जाती हैं।
डॉ. रीना ने शहर और जिले के कॉलेज-स्कूल में छात्र-छात्राओं और नौजवानों को भी जोड़ा। लडक़ों को बताया कि कन्या ही मां, बहन, दादी, नानी और पत्नी का स्वरूप हैं। जब युवक-युवतियों को सोनोग्राफी में और कन्या भ्रूण को खत्म करने की दवाएं-तरीके, गर्भपात के बाद होने वाली मानसिक स्थिति बताई तो कइयों के आंसू बह निकले।
डॉ. व्यास ने बताया कि दो साल तक चले अभियान का व्यापक असर हुआ। राजस्थान में प्रति 1 हजार बालकों पर अब 950 बालिकाएं तक पहुंच गया है। 2021 की जनगणना में यह आंकड़े सामने आएंगे। सही मायने में बालक-बालिकाओं में कोई फर्क नहीं है। शिक्षा से समाज में बालिकाओं-महिलाओं के प्रति नजरिया बदला है, पर लेकिन धरातल पर अभी काफी कामकाज की जरूरत है।
गूंजेंगे फाल्गुन के गीत, बरसेंगे फिजा में रंग अजमेर. शहर में होली पर्व पारम्परिक तरीके से मनाया जाएगा। सोमवार को विभिन्न स्थानों पर मंत्रोच्चार से पूजा-अर्चना के साथ होलिका दहन होगा। अगले दिन यानि मंगलवार को धूलंडी मनाई जाएगी। लोग एकदूसरे को गुलाल, अबीर और रंग लगाकर होली की शुभकामना देंगे। उधर रविवार को शहर के बाजारों में भीड़ जुटी है। लोगों ने मिठाई, रंग, गुलाल, पिचकारी और अन्य सामग्री खरीद रहे हैं।