गैस सिलेण्डर पानी में डूबे हुए हैं। रेग्युलेटर व माचिस भीगने से काम नहीं कर रहे। फ्रीज आधे डूबे हुए हैं। दो दिन से बर्तन,चप्पल-जूते,झाड़ू पानी में तैर रहे हैं। वैशाली नगर के सैक्टर-३,सागर विहार,शिव विहार व गुलमोहर कॉलोनी क्षेत्र में हालात सबसे अधिक खराब है। पीडि़त परिवारों के अनुसार गुरुवार व शुक्रवार को बच्चे स्कूल नहीं जा पाए।
स्कूटर,कार व बाइक पानी में डूबी हुई है। हालात यह है कि शौचालय में पानी भरा होने से लोग घर से बाहर खुले में शौच करने को बाध्य रहे। पालतु श्वान घर की छत पर बांध रखे हैं। सांप,बिच्छु व अन्य जलीय जीवों का भय बना रहा।
घरों में कैद,जाएं तो कहां… कई घरों में बिजली बंद है तो अधिकतर में करंट का खतरा बना हुआ है।लोग घरों में कैद है। सैक्टर-३ विकास समिति के अध्यक्ष गजेन्द्र पंचोली के घर करीब पांच फीट लंबा सांप निकल आया। इनके घर पौधों के गमले, पलंग, फ्रीज, डूबे पड़े हैं। कच्ची बस्ती के भी यही हालात हैं। शिव विहार क्षेत्र में रोगी को लेने आई एक एंबुलेंस पानी में फंस गई।
जो करीब पांच घंटे बाद निकाली जा सकी। आरएसएस के स्वयंसेवकों ने कच्ची बस्ती में दूध,बिस्किट व अन्य सामग्री वितरित की। गुलमोहर कॉलोनी विकास समिति अध्यक्ष मिलाप चंद रांका के मुताबिक यह समस्या हर साल आती है। बारिश के समय करीब तीन सौ परिवारों पर पानी भराव की समस्या आफत बनती है। इसका स्थायी समाधान जरूरी है।
पेयजल को भी तरसे सरकारी नलों से पानी तो आ रहा है,लेकिन वह भी गंदला है। उसमें बदबु आ रही है। हैण्डपम्प व ट्यूबवैल भी मटमैला पानी उगल रहे हैं। घरों में घुटनों तक भरा पानी, पानी के हौज के ऊपर तैरता बारिश व सीवरेज का पानी यहां की भयावहता को बयां कर रहे हैं। महिलाएं एवंं बच्चे बाल्टी-लोटे भर-भर कर घरों से पानी निकालने में जुटे हुए हैं। चारों ओर पानी से घिरे परिवार तीन दिन से सो नहीं पाए।
अजमेर के वैशालीनगर की सागर विहार, गुलमोहर एवं वन विहार कॉलोनियों में बारिश के मध्य हालात बदतर है। बुजुर्ग छतों पर खुली हवा लेने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों की शिकायत है कि र साल समस्या आती है। इससे कब छुटकारा मिलेगा। घरों में बनाए टैंक/हौज में बारिश व नालों का गंदा पानी भर गया है। जो कुछ मटकों में पानी बचा उससे काम चला रहे हैं। यहां प्रशासन ने ना तो दूध की ना पीने के पानी की व्यवस्था की है। कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं। ठेकेदार की मनमानी के बावजूद अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। पानी खाली करने का काम देरी से शुरू हुआ।
सताने लगी पढ़ाई की चिंता तीन दिन से बच्चे स्कूल नहीं गए। इनके बस्ते भीग गए. किताबें गीली पड़ी है। स्कूल ड्रेस गीली है। स्कूल जाएं तो कैसे जाएं। घर के अंदर-बाहर पानी भरा पड़ा है। ऑटो,रिक्शा नहीं आ रहे। स्कूल बस भी बंद है। घर पर दुपहिया वाहन खराब हो गए।
ड्यूटी पर भी नहीं जा पाए सरकारी विभागों के कई कर्मचारी नौकरी पर नहीं जा पाए। झाड़ू-पौंचा लगाने वाली कई महिलाएं ठाली बैठी है। वे किस घर पर काम करने जाएं। सभी जगह पानी भरा पड़ा है।