नहीं मिल पाया था वेतन कुलपति प्रो. सिंह की नियुक्ति 6 अक्टूबर को हुई थी। उन्होंने विश्वविद्यालय में महज पांच दिन (6 से 10 अक्टूबर) तक ही कामकाज किया। 11 अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने उनके कामकाज करने पर रोक लगाई थी। कुलपति के वेतन को लेकर विश्वविद्यालय पांच महीने से कोई फैसला नहीं ले पाया था। इस दौरान सरकार और राजभवन को पत्र भी भेजे गए। दोनों से प्रत्युत्तर मिलने के बाद डीन कमेटी ने कुलपति को वेतन-भत्ते देने के आदेश दिए। मालूम हो कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों को मासिक वेतन 70 हजार रुपए है। इसके अलावा उन्हें 5 हजार रुपए विशेष भत्ते के रूप में मिलते हैं। विश्वविद्यालय स्तर पर उन्हें आवास, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, वाहन और अन्य सुविधाएं मिलती हैं।
कमेटी ने यह भी लिए फैसले
-परीक्षा वाहनों के भुगतान को मंजूरी -पूर्व कुलपति प्रो. सिंह के भुगतान को मंजूरी