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अजमेर

देशभर में नदियों को जीवंत कर रहे हमारी चंबल के घडिय़ाल

– पर्यावरण: घडिय़ाल संरक्षण में महती भूमिका निभा रहा देवरी स्थित ईको पार्क – पंजाब को दिए जाएंगे २५ घडिय़ाल, इनमें 9 नर व १६ मादा – हर साल संरक्षित किए जाते हैं दो सौ अंडे – हैच कर बड़ा होने पर छोड़ा जाता है चंबल में बागी और बीहड़ के लिए मशहूर चंबल नदी घडिय़ालों का दुनिया में सबसे बड़ा ठिकाना भी है। कई नदियों में उनकी संख्या घट रही है, लेकिन चंबल में घडिय़ालों का वंश लगातार बढ़ रहा है। अब स्थिति यह है कि यहां से घडिय़ाल देश की अन्य नदियों के लिए भेजे जा रहे हैं। चंबल घडिय़ाल अभयारण्य के देवर

अजमेरNov 10, 2021 / 01:24 am

Dilip

 crocodiles Terror in kota

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धौलपुर. बागी और बीहड़ के लिए मशहूर चंबल नदी घडिय़ालों का दुनिया में सबसे बड़ा ठिकाना भी है। कई नदियों में उनकी संख्या घट रही है, लेकिन चंबल में घडिय़ालों का वंश लगातार बढ़ रहा है। अब स्थिति यह है कि यहां से घडिय़ाल देश की अन्य नदियों के लिए भेजे जा रहे हैं। चंबल घडिय़ाल अभयारण्य के देवरी (मुरैना, मप्र) स्थित केंद्र में संरक्षित घडिय़ाल पंजाब की कई नदियों की शोभा बढ़ा रहे हैं। अब पंजाब सरकार ने 25 और घडिय़ालों की मांग की है। इन्हें दिए जाने की सहमति भी बन गई है। बता दें, घडिय़ाल नदियों का प्राकृतिक सफाईकर्मी हंै। साफ पानी में ही उसका वंश बढ़ता है। एक तरह से इसकी मौजूदगी पानी की स्वच्छता का परिचायक है। जलीय जीवों की गणना के इसी साल फरवरी में जारी आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा 2176 घडिय़ाल चंबल नदी में ही हैं।
पंजाब को अब तक दिए 50 घडिय़ाल

पंजाब सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार के जरिए घडिय़ालों की मांग भेजी है। इससे पहले भी चंबल से वर्ष 2017 और 2018 में 25-25 घडिय़ाल पंजाब भेजे गए थे। इन्हें वहां ब्यास और सतलज में छोड़ा गया था। अब 10 नवंबर को पंजाब की टीम 25 घडिय़ाल लेने आ रही है। 11 नवंबर को इन्हें विदा किया जाएगा।
करते हैं पानी की सफाई

मगरमच्छ से लेकर अधिकांश जलीय जीव मछलियां खाते हैं, लेकिन वे उनके अवशेषों को छोड़ देते हैं। इनसे पानी प्रदूषित होता है। घडिय़ाल ऐसा जीव है तो मछली के समस्त अवशेषों के अलावा अन्य कई प्रकार के जैविक प्रदूषकों का भक्षण करता है। काई व अन्य अपशिष्ट खाकर पानी की सफाई करने वाले कछुए भी घडिय़ालों के साथ रहना पसंद करते हैं।
देवरी से यहां भी भेजे गए थे घडिय़ाल

– बुंदेलखंड की जीवनरेखा कही जाने वाली छतरपुर जिले की केन नदी के लिए दो बार में 50 घडिय़ाल दिए गए।
– मध्यप्रदेश के सीधी जिले में बहने वाली सोन नदी के लिए जनवरी 2019 में 25 घडयि़ाल भेजे गए थे।
– ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, दिल्ली, जयपुर, आगरा, चंडीगढ़, रायपुर आदि जगहों के चिडिय़ाघरों में चंबल के घडिय़ाल ही भेजे जाते रहे हैं।

बाढ़ में बह गए थे हजारों घडिय़ाल

चंबल नदी में हर साल आने वाली बाढ़ घडिय़ालों के बच्चों पर आफत बन कर टूटती है। इस वर्ष जून में चंबल नदी में हुई गणना में घडिय़ालों के 4050 बच्चों की जानकारी सामने आई थी, लेकिन इनमें से लगभग सभी प्राकृतिक आपदा का शिकार होकर तेज बहाव में बह गए। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार वैसे भी जन्म के बाद घडिय़ाल के केवल पांच प्रतिशत बच्चों के ही जीवित रहने की उम्मीद रहती है। देवरी स्थित हैचरी में हर साल घडिय़ाल के दो सौ अंडों को संरक्षित किया जाता है। अंडों से बच्चे निकलने और उनके दो साल का होने पर उन्हें चंबल में छोड़ा जाता है।
इनका कहना है

१० नवंबर को पंजाब का दल आएगा और ११ नवंबर को देवरी ईको पार्क से घडिय़ाल के 25 बच्चे लेकर जाएगा। इनमें 9 नर व १६ मादा शामिल हैं।
– अमित निगम, डीएफओ, मुरैना, मप

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