बिल्डिंग वेस्ट का होगा पुन: उपयोग सीएंडडी प्लांट के जरिए बिल्डिंग और सडक़ के वेस्ट मैटेरियल का प्रोसेस कर इंट, इंटर लॉकिंग टाइल्स व अन्य उत्पाद बनाए जाएगें तथा पुन: इसे उपयोग में लिया जा सकेगा। जिससे पर्यारण को फायदा होगा तथा बिल्डिंग वेस्ट का भी पूरी तरह निस्तारण हो सकेगा।प्रतिदिन उत्पादित कचरे का भी होगा निस्तारणशहर में प्रतिदिन उत्पादित होने वाले करीब 300 मैट्रिक टन कचरे निस्तारण के भी प्लांट लगाया जाएगा। प्लांट का निर्माण पीपीपी मोड़ पर होगा तथा 15 साल तक इसका मेंटीनेंस तथा सुलभ टेक्नोलॉजी के जरिए कचरे का निस्तारण ठेका फर्म को ही करना होगा। डम्पिंग यार्ड में वर्ष 1997 से डाला जा रहा है। 15 दिसम्बर 2019 तक डम्पिंग यार्ड में 3 लाख 60 हजार 542 क्यूबिक मीटर सॉलिड वेस्ट डाला गया। यहां इस कचरे को किसी भी तरह से प्रोसेस नहीं किया जाता, जिससे वह सड़ता रहता है और चारो तरफ बदबू फैली रहती है। लीगसी वेस्ट प्लांट नहीं होने से अजमेर स्वच्छता रैंकिंग में भी पीछे चल रहा है।
‘गोपनीय पत्रों’ ने बिगाड़ दिया था खेल स्मार्ट सिटी द्वारा माखूपुरा डम्पिंग यार्ड में जमा 2.20 लाख मैट्रिक टन लीगेसी वेस्ट (कचरा) प्रोसेस करने के लिए तीन माह पूर्व 14 करोड़ रुपए के टेंडर जारी किए थे। इसके लिए 7 फर्मों ने निविदाएं दाखिल की। स्मार्ट सिटी अभियंताओं ने 17 जून को 2020 को तकनीकी बिड खोली,लेकिन दो माह बीतने के बावजूद अभियंता और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेसी (पीएमसी) ने तकनीकी मूल्यांकन नहीं किया। ऑनलाइन प्रक्रिया के बावजूद स्मार्टसिटी के अभियंताओं ने ठेकेदारों को गोपनीय पत्र लिखकर प्रक्रिया को प्रभावित किया।
पत्रिका ने किया था उजागर वेस्ट प्लांट टेंडर में अभियंताओं के ‘खेल’ को राजस्थान पत्रिका ने मामले को प्रमुखता से उजागर किया तो अभियंता बैकफुट पर आ गए। मामले की शिकायत जिला कलक्टर तक पहुंची। कलक्टर ने जांच के लिए मामला नगर निगम आयुक्त को भेजा। जांच होने से पूर्व ही अब पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया है। पूर्व में भी कई टेंडर रद्द किए जा चुके हैं।