प्रदेश में 1996-97 और उसके बाद अजमेर
(ajmer) सहित बीकानेर (bikaner), झालावाड़ (jhalawar), बारां (baran), भरतपुर (bharatpur), बांसवाड़ा (banswara) और अन्य जगह इंजीनियरिंग कॉलेज खोले गए। नियमानुसार तकनीकी विश्वविद्यालयों (technical universities) और इंजीनियरिंग कॉलेज
(engineering college) के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडेशन (national board of accreditation) ब्रांचवार या समूचे कॉलेज के लिए ग्रेडिंग जरूरी है। फिर भी सरकार और तकनीकी शिक्षा विभाग बेफिक्र हैं।
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Proud daughters: बेटों से कहीं कम नहीं हैं अजमेर की बेटियां 2020 तक ग्रेडिंग जरूरी अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडेशन (नैब) के नियमानुसार सभी इंजीनियरिंग कॉलेज को 2020 तक ग्रेडिंग (grading) लेनी जरूरी है. यह ब्रांच अथवा समूचे कॉलेज के लिए होगी। कॉलेज को बाकायदा नैब की टीम (NAB team) को निरीक्षण के लिए बुलाना होगा। टीम शैक्षिक कामकाज
(academic work), प्रयोगशाला (labs), मूलभूत संसाधनों, विद्यार्थियों से बातचीत कर पियर रिपोर्ट तैयार करेगी। मालूम हो ग्रेडिंग के अनुरूप कॉलेज को बजट मिल सकेगा।
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Govt Jobs: भर्तियां मिलेंगी तभी आगे बढ़ेगी आरपीएससी की गाड़ी बनना पड़ेगा स्वायत्तशासीकेंद्र सरकार की टेक्यूप योजना से 10 आईआईटी (IIT), 7 आईआईएम (IIM), 30 एनआईटी, 7 ट्रिपल आईआईटी (Tripple IIT) और कई इंजीनियरिंग कॉलेज
(engineering college), विश्वविद्यालय जुड़े हैं। सभी संस्थाओं को शैक्षिक गुणवत्ता और उन्नयन के लिए स्वायत्तशासी (ऑटोनॉमस) बनना पड़ेगा। तभी संस्थाओं को अनुदान मिल सकेगा। 2020 से स्वायत्तशासी होने वाले संस्थान को बजट में तरजीह मिलेगी।
परेशान हैं विद्यार्थी विद्यार्थियों की सेमेस्टर(semester) और प्रयोगिक परीक्षाएं (practical exam), पेपर और पाठ्यक्रम निर्माण (courese development) राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय करता रहा है। इंजीनियर कॉलेज में परीक्षाएं, परिणाम निकालने और प्रवेश कार्यों में विलम्ब
(delay) से विद्यार्थी परेशान हैं। कम प्लेसमेंट और नौकरियों के घटते अवसर से इंजीनियरिंग क्षेत्र में विद्यार्थियों का रुझान (students interest) भी घट रहा है। इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर भी नहीं हैं। अधिकांश कॉलेज में रीडर और लेक्चरर ही विद्यार्थियों को इंजीनियर बना रहे हैं।