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अजमेर

Teachers day : खुद दृष्टिबाधित मगर शिष्यों की जिन्दगी कर रहे ‘रोशन’

देश की भावी पीढ़ी को संवारने का जुनूनजिन्दगी में बाधाओं को पार कर पाया मुकाम, अब कर रहे शागिर्द तैयार

अजमेरSep 05, 2019 / 12:14 pm

himanshu dhawal

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Teachers day : खुद दृष्टिबाधित मगर शिष्यों की जिन्दगी कर रहे ‘रोशन’,Teachers day : खुद दृष्टिबाधित मगर शिष्यों की जिन्दगी कर रहे ‘रोशन’

अजमेर. देश की भावी पीढ़ी को संवारने में जुटे हैं शिक्षक। एक कुम्हार जिस तरह कच्ची मिट्टी को आकार देकर मटका तैयार करता है, उसी तरह एक शिक्षक (Teacher) अबोध बालक को राष्ट्र निर्माता के रूप में तैयार करता है। कई शिक्षक हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो अनूठा काम करने के बावजूद पर्दे के सामने नहीं आ पाते हैं। शिक्षक बच्चे के जीवन में संस्कार (Ritual in teacher’s life) , अनुशासन का निर्माण करता ही है वरन् हर समस्या एवं संघर्ष से लड़ते हुए खुद को साबित करने के लायक भी बनाता है। अजमेर (ajmer) में यूं तो कई शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें राष्ट्रीय, राज्य (state), जिला स्तरीय अवार्ड से नवाजा गया हो मगर कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं जिनकी जिन्दगी संघर्षों में रहने के बावजूद एवं शारीरिक नि:शक्तता के बावजूद उन्होंने सामान्य शिक्षक की भांति अपनी पहचान कायम की है।
तल्लीनता से सुनते हैं बच्चे

दृष्टिबाधित शिक्षक सुभाष शर्मा इतिहास विषय के व्याख्याता से अब प्रिंसीपल (principal) बन गए हैं। शर्मा इतिहास के व्याख्याता रहे हैं, प्रिंसीपल बनने के बावजूद जब कभी मौका मिलता है बच्चों को इतिहास पढ़ाते हैं। आंखों से दिखता नहीं है, कोई किताब नहीं होती है, मगर इतिहास (history) के पन्नों को एक-एक कर बच्चों के समक्ष ऐसा रखते हैं कि बच्चे तल्लीन होकर पढ़ते हैं। जब शर्मा पढ़ाते हैं तो बच्चों को पेज (page) नम्बर पर संबंधित चैप्टर का नाम बताते हैं, किस पेज पर क्या है यह भी उन्हें जुबानी हैं। अब वे राउमावि हीरापुरा (Heerapura) में प्रिंसीपल पद पर कार्यरत हैं। मगर एक शिक्षक (teacher) के रूप में उन्होंने अलग ही पहचान बनाई है।
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त्रिवेदी ने देश में अर्जित की ख्याति

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय माखुपुरा में अंग्रेजी के व्याख्याता संदीप त्रिवेदी दृष्टिबाधित हैं, मगर उनका काम एक सामान्य शिक्षक की क्षमता से भी कहीं अधिक हैं। जब वे बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाते हैं तो किसी किताब की जरूरत नहीं होती है। उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के साथ खास पहचान जो बनाई है। वह दृष्टिबाधित बच्चों, युवाओं, व लोगों के लिए मानो नजीर हैं। उन्होंने रिकॉर्डिंग क्लब (Recording club) बनाया है जिसमें देशभर के 25 राज्यों के करीब 2000 दृष्टिबाधित बच्चे, युवा, व अन्य जुड़े हुए हैं। राजस्थान पत्रिका (rajasthan patrika) के समाचारों की रिकॉर्डिंग कर ऑडियो के माध्यम से रिकॉर्डिंग क्लब से प्रसारित किया जाता है। रोजगार, शिक्षा सहित अन्य समाचारों को प्रसारित कर वे देशभर में खास पहचान बना चुके हैं।

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