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सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में बोरड़ शिक्षकों से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि राज्य में 290 कॉलेज हैं। चार हजार शिक्षक पढ़ाते हैं। एक सर्वे करें तो किसी कॉलेज में स्टूडेंट की अटेंडेंस पूरी नहीं मिलेगी। कॉलेज के बजाय कोचिंग क्लास फुल रहती हैं। आखिर वहां ऐसा क्या है, जो विद्यार्थी को कॉलेज में नहीं मिलता…। दरअसल आप कम्पफर्ट जोन से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं। कितने टीचर हैं, जो आईएएस, आरएएस, आईपीएस या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर नियमित पढ़ते हैं, और क्लास में बच्चों को इनकी तैयारी के बारे में समझाते है।
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वीडियो कॉल में दिखे चार-पांच बच्चे…बोरड़ ने कहा कि मैंने जयपुर से कई बार सहायक निदेशक और प्राचार्यों से वीडियो कॉल पर बात की। उनसे क्लास की स्थिति दिखाने को कहा तो..अफसोस जनक हाल दिखे। कई कॉलेज में तो क्लास में 4-5 बच्चे ही दिखे…। आप सब आरपीएससी से चयनित और पीएचडी धारक हैं। कोर्स को गहराई तक पढ़ाएंगे तभी तो बच्चा क्लास में आएगा…आपको कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने की जरूरत है।
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मेरे आदेश को कहते हो तुगलकी फरमानबोरड़ ने चुटकी लेते हुए कहा कि मैं एक साल से आयुक्त हूं…कॉलेज शिक्षा में कुछ बदलाव-नवाचार कर रहा हूं..। मेरे आदेश को आप लोग ‘तुगलकी फरमान ’कहते हो…। लेकिन मैं रुकने वाला नहीं हूं….। आपको खुशखबरी सुना देता हूं…कि मैं इसी साल 31 जुलाई को रिटायर हो जाऊंगा….लेकिन तब तो ये फरमान आते ही रहेंगे….।
कॉलेज और कोचिंग क्लास में बोरड़ ने फर्क भी समझाया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बच्चा भारत छोड़ो आंदोलन किसी तारीख को शुरू हुआ यह जानना चाहता है…लेकिन हम वही कोर्स और पाठ्यक्रम से डिटेल पढ़ाने की प्रवृत्ति बदलना नहीं चाहते। आपके ही श्रीगंगनगर कॉलेज में लेक्चरर है चंद्रपाल जांदू…उसकी क्लास में कभी भी जाओ हर वक्त 200-250 स्टूडेंट पढ़ते हैं…। ऐसा इसीलिए है, क्योंकि वह डिटेल में पढ़ाता है।