रिपोर्ट में बताया गया कि नाकामी के पीछे स्वयं विद्यार्थी भी उत्तरदायी हैं। केवल गुरुओं, शिक्षण व्यवस्था पर दोषारोपण के बजाय उन्हें खुद से प्रतिस्पर्धा, कमजोरियों को दूर करने और आत्म अवलोकन के गुण विकसित करने होंगे। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सिक्किम के निदेशक प्रो. एम. सी. गोविल भी मानते हैं, कि राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तेज-तर्रार युवाओं और दक्ष इंजीनियर की जरूरत है। इसके लिए उन्हें व्यक्तित्व विकास, सशक्त संवाद, विषय ज्ञान और परियोजना आधारित समझबूझ जरूरी है।
-विद्यार्थी-संस्थाएं सामाजिक उत्तरदायित्व से हो रहे दूर
-भुला रहे अभिभावकों और गुरुओं का योगदान
-औद्योगिक मांग और आपूर्ति में लगातार बढ़ रहा अन्तर
-बढ़ी खुद को श्रमिक समझने और पैकेज के पीछे भागने की प्रवृत्ति
-नौजवान उद्यमिता अपनाने, जोखिम उठाने और निवेश में पीछे
-कम उम्र में बढ़ रहा युवाओं में मानसिक तनाव
-कमियां दूर करने के बजाय दोषारोपण-निरर्थक बहस