ब्रिटिशकाल में 18 वीं शताब्दी में स्थापित सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय प्रदेश का सबसे संस्थान है। यहां स्वीमिंग पूल (swimming pool) , ऑडिटेरियम (auditarium), गल्र्स और बॉयज हॉस्टल (hostel) , प्राचार्य निवास (principal house) और अन्य संसाधन उपलब्ध हैं। यहां वॉलीबॉल (volle ball), बास्केटबॉल कोर्ट (basket ball), लॉन टेनिस (lawn tennis), क्रिकेट (cricket), जिम्नेजियम
(gymnazium) सुविधा है। अब कॉलेज प्रशासन युवाओं, शिक्षकों और आमजन के लिए खेलकूद सुविधाओं को बढ़ाना चाहता है।
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Tripal talaak : बोला तलाक-तलाक-तलाक, मामला दर्ज कॉलेज में है काफी जमीनकॉलेज परिसर में पुराने बॉयज हॉस्टल (old boys hostel) और इसके आसपास करीब 1 हजार वर्ग से ज्यादा जमीन है। यहां पांच साल पहले तक राजकीय कन्या महाविद्यालय (girls college) संचालित था। कॉलेज प्रशासन ने यहां स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स (sports complex) बनाने की योजना बनाई है।
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11 सालों से साइकिल (Cycle) यात्रा कर नशा मुक्ति (de addiction)की जगा रहे अलख तैयार किया जा रहा डिजाइन कॉलेज ने कॉम्पलेक्स के लिए नगर निगम और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत प्रस्ताव भेजा है। कॉम्पलेक्स के लिए निजी फर्म से डिजाइन (design) भी तैयार कराया जा रहा है। यहां हाईटेक इंडोर गेम्स (indoor games) के संसाधन (facilities) विकसित किए जाएंगे।
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Avvnl : बिजली चोरों के खिलाफ 13 दिन में 414 एफआईआर यह होंगी सुविधाएं-बैडमिंटन और टेबल टेनिस खेल सुविधा
-अत्याधुनिक वॉलीबॉल और बास्केटबॉल कोर्ट
-वॉक-वे और जॉगिंग ट्रेक सुविधा
-स्पोट्र्स सुविधाओं के अनुसार एक्सरसाइज मशीन
कब सुधरेगा स्वीमिंग पूलकॉलेज में करीब 60 साल पूर्व स्वीमिंग पूल
(swimming pool) बना हुआ है। यहां 70 के दशक तक रीमा दत्ता, मंजरी भार्गव जैसी खिलाडिय़ों ने तैराकी प्रतियोगिता
(swimming competition) में पहचान बनाई। 80 के दशक में एक छात्र की तरणताल में डूबकर हुई मृत्यु (death) के बाद इसको बंद कर दिया गया। तबसे यह दोबारा शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि कॉलेज प्रशासन ने यूजीसी (UGC) के सहयोग से दो बार पांच करोड़ रुपए से पूल का जीर्णोद्धार कराने का प्रस्ताव भी भेजा। राशि स्वीकृत भी हुई पर उपयोग नहीं होने से बजट लैप्स हो गया।
कॉलेज के पिछले हिस्से में स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स बनाया जाना है। नगर निगम और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत निर्माण होगा। मंजूरी मिलते ही कार्य शुरू कराया जाएगा। डॉ. एम. एल. अग्रवाल, प्राचार्य एसपीसी-जीसीए