सरकार ने निजी-सरकारी आवास, सरकारी अैार निजी विभागों, व्यावसायिक भवनों में बरसात के पानी को संग्रहण
(rain water conservation) करने के निर्देश दिए हैं। कई सरकारी और निजी महकमों और घरों में इसकी शुरुआत हो भी गई है। फिर भी यह संख्या सीमित है। सरकारी, अधिकारी, कर्मचारी और आमज पानी की किल्लत (water crisis) से वाकिफ है, फिर भी बारशि के पानी को नहीं बचाया जा रहा है।
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Monsoon rain: 55 दिन में चाहिए 100 मिलीमीटर बरसात कई विभाग हैं पीछे…केंद्र और राज्य सरकार, अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर निगम के निर्देशों के बावजूद कई सरकारी विभागों में बरसात (barish)के पानी का संग्रहण नहीं हो रहा। इनमें महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, मेडिकल (medical college), दयानंद कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज (engineering college), सीबीएसई (cbse) और राज्य एवं केंद्र सरकार के विभिन्न महकमे, निजी स्कूल, अद्र्ध सरकारी विभाग शामिल हैं। जल संरक्षण की सीख देने वाले जलदाय (phed) और जल संसाधन विकास के दफ्तर (irrigation dept), बिजली विभाग और अन्य कार्यालय भी पीछे हैं।
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heavy rain: जमकर उफन रहा है आनासागर का पानी यूं ही बह जाता है पानी जिले और शहर में मानसून
(monsson in ajmer) सक्रिय है। करीब 390 मिलीमीटर बरसात (rain) हो चुकी है। बांधों (Dams), तालाबों (ponds), झीलों (lakes)और एनिकट (anicot) में आए पानी आया है। लेकिन 90 प्रतिशत घरों, सरकारी-निजी कार्यालयों, व्यावसायिक भवनों का पानी नाले-नालियों (sever line) से व्यर्थ बह रहा है। नला बाजार, कचहरी रोड, मदार गेट, महावीर सर्किल, वैशाली नगर, सावित्री स्कूल चौराहा, जयपुर रोड, मार्टिंडल ब्रिज, तोपदड़ा और आगरा गेट में पानी का भराव सर्वाधिक होता है। पानी नालियों-नालों से होकर खेतों-खाली प्लॉटों में भर (water storage) जाता है। साथ ही इसका कोई इस्तेमाल नहीं होता है।
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Rain in Ajmer: पहले भर गया घरों में पानी, अब बीमारियां फैलने का डर केवल बीसलपुर पर निर्भर..समूचा अजमेर शहर और जिला सिर्फ बीसलपुर बांध
(bisalpur dam) पर निर्भर है। इसकी क्षमता 315.50 आरएल मीटर है। पिछले साल हुई कम बरसात का असर इस बार देखने को मिला। लोगों को 36 से 72 घंटे के अंतराल
(water cutting) में पानी मिल रहा है। जलदाय विभाग ने जुलाई में बीसलपुर के घटते जलस्तर के चलते कंटीजेंसी प्लान तक भेज दिया। अगर पिछले 15-20 दिन में टोंक, चित्तौडगढ़़, भीलवाड़ा में बरसात नहीं होती तो बांध का पैंदा नजर आ जाता।
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Ajmer Heavy Rain: 48 घंटे बाद भी जल से घिरी है जिंदगानी, पानी निकालने का कार्य जोरो पर तो मिले फायदा जिले की औसत बारिश 550 मिलीमीटर है। इसके चलते जिले में करीब 5,550 एमसीएफटी पानी गिरता है। इसमें से ढाई हजार एमसीएफटी पानी ही झीलों-तालाबों अथवा भूमिगत टैंक (under ground tank) तक पहुंचता है। बाकी पानी व्यर्थ बह जाता है। पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर की मानें तो बरसात के पानी की बचत से हजारों रुपए का नुकसान (revenue loss) बच सकता है।
सात साल में हुई कम बरसात
(1 जून से 30 सितम्बर) 2012-520.2
2013-540 2014-545.8
2015-381.44 2016-512.07
2017-450 2018-350