यह है सबसे बड़ी अड़चन विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है। विभाग केन्द्रीय शहरी एवं विकास मंत्रालय कला तथा संस्कृ़ति विभाग की अनुमति के बिना पुरामहत्व की इमारतों, मंदिरों और किलों में किसी भी प्रकार की निर्माण की इजाजत नहीं देता है। यही वजह है कि वर्ष 2018 में मंदिर के पीछे बना एंट्री प्लाजा विधिवत रूप से शुरु नहीं हो सका। विभाग ने इसके निर्माण पर आपत्ति जताई है।
राज्यपाल भी नहीं कर सके थे दर्शन ब्रह्मा मंदिर में करीब 42 सीढि़यां हैं। इसके कारण दिव्यांगजनों और बुजुर्गों को मंदिर में दर्शन के लिए जाने में परेशानी होती है। तत्कालीन राज्यपाल कल्याण सिंह भी 2016-17 में पुष्कर आगमन के दौरान मंदिर की सीढि़यों की उंचाई अधिक होने के कारण दर्शन नहीं कर सके थे। उन्होंने मंदिर में लिफ्ट एवं एस्केलेटर लगाने के निर्देश दिए थे। इसके लिए पीडब्ल्यूडी एवं एडीए ने प्रयास भी किए लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ सका।
इनका कहना है यह मंदिर एएसआई के अधीन् है। जिला प्रशासन के जरिये इसका संचालन किया जाता है। मंजूरी मिलने और फंड उपलब्ध होने के बाद निर्माण संभव है। हमने इसके लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा है।
गौरव सोनी सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग-अजमेर