पुलिस के अनुसार बोराड़ा निवासी दिलखुश चौधरी ने दी रिपोर्ट में बताया कि वह एसपीसी जीसीए अजमेर में बीए फाइनल इयर का विद्यार्थी है। उसके गांव के ही भूपेन्द्र जाट को उसने बताया कि उसके कॉलेज की स्कॉलरशिप नहीं आ रही है। इस पर भूपेन्द्र ने उसे बैंक वाले परिचित होने की बात कहते हुए केकड़ी बुला लिया। उसने विश्वास दिलाया कि वह उसकी स्कॉलरशिप चालू करा देगा। भूपेंद्र ने उसका एक निजी बैंक में खाता खुलवा दिया। कुछ दिनों बाद भूपेन्द्र ने उससे कहा कि इस खाते में रुपए नहीं आ पा रहे इसलिए दूसरे बैंक में खाता खुलवाना पड़ेगा। इस पर एक अन्य बैंक में भी खाता खुलवा लिया।
कुछ दिन बाद भूपेन्द्र ने कहा कि ये दोनों बैंक प्राइवेट है, इसलिए स्कॉलरशिप के लिए सरकारी बैंक में खाता खुलवाना पड़ेगा। भूपेन्द्र ने तीसरा खाता अन्य बैंक में खुलवा दिया। खाते खुलवाते समय भूपेंद्र ने धोखाधड़ी करते हुए दिलखुश की बजाय किसी ओर के मोबाइल नंबर जुड़वा दिए, जिससे इन खातों में होने वाली गतिविधि का उसे पता नहीं चल सके। कुछ दिन बाद भूपेन्द्र ने फोन पर उसे बताया कि एक बैंक के खाते में उसकी स्कॉलरशिप के 4 हजार रुपए आ गए हैं।
बैंक वालों ने उसे यह जानकारी दी है। कुछ दिन बाद एक बैंक के मैनेजर ने दिलखुश को फोन कर पूछा कि उसके खाते में जो छह लाख रुपए पड़े हैं, वो उसी के हैं क्या। इस पर उसने अनभिज्ञता जताई। कुछ देर बाद मैनेजर ने दोबारा फोन कर बताया कि उसके खाते में एक करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है। इसलिए उसे बैंक आकर मिलना होगा। वह बैंक पहुंचा तो मैनेजर ने उसे बताया कि उसका खाता 68 लाख रुपए माइनस में चला गया है। दिलखुश ने बताया कि इसी प्रकार 3 दिसम्बर को एक अन्य बैंक का नोटिस मिला, जिसमें बताया गया कि उसके खाते में लाखों रुपए का लेनदेन हो रहा है। उसने बैंक जाकर जानकारी की तो पता चला कि वहां भी इसी प्रकार कई लेनदेन हुए हैं। तीनों खातों में करोड़ों के लेनदेन की बात सामने आते ही दिलखुश के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने भूपेन्द्र से बात की तो उसका कहना रहा कि उसका इससे कोई मतलब नहीं है। उसे रुपए कमाने के लिए लेनदेन करने थे, जो उसने कर लिए।
रिपोर्ट में दिलखुश ने बताया कि आरोपी भूपेन्द्र ने तीन बैंकों में उसके नाम से खाते खुलवाकर अवैध एवं फर्जी लेनदेन कर धोखाधड़ी की है। शहर थाना पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू करदी है।