खास बात यह कि अजमेर क्षेत्र से सांसद व रेलमंत्री भी राजस्थान के होने के बावजूद यह कार्य गति नहीं पकड़ रहा। इससे जिम्मेदारों के सरोकार सवालिया हैं। पिछले दस सालों में केवल डीपीआर व सर्वे कार्य ही हुआ है। जबकि भूमि अवाप्ति व उनके मुआवजे की कार्रवाई होनी है। इसके बाद ही आगे का काम हो सकेगा।
पुष्कर-मेड़ता लाइन के लिए प्राथमिकता से कार्य होने की उम्मीद इसलिए भी की जा रही है कि अजमेर के सांसद भी केंद्रीय राज्यमंत्री हैं व स्वयं रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव भी प्रदेश के पाली से जुड़ाव रखते हैं। इसके बावजूद दस साल से काम के गति नहीं पकड़ने से लोगों में मायूसी है।
पर्यटन-औद्योगिक विकास अटका
पुष्कर-मेडता लाइन जुड़ जाने के बाद अजमेर, नागौर व जोधपुर का सीधा जुड़ाव बीकानेर व आगे पंजाब से हो जाएगा। इससे अजमेर से पंजाब के अमृतसर तक का सीधा जुड़ाव होगा। पंजाब का जोधपुर के रास्ते मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के लिए आवाजाही का एक और विकल्प बनेगा। जिससे अजमेर से कई बड़े शहर जुड़ेंगे। बीकानेर के रास्ते कोयला व अन्य उद्योगों को गति मिलेगी।
सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगी पुष्कर मेड़ता रेल लाइन
पुष्कर. पुष्कर से मेड़ता तक का रेल मार्ग सामरिक दृ़ष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा। नसीराबाद छावनी तथा अन्य स्थानों के सैनिक कम समय में ज्यादा सफर तय करके बार्डर पर जल्द पहुंच सकेंगे। अजमेर से वाया मारवाड़ जंक्शन होते हुए बीकानेर तक जाने में आर्मी को 520 किलोमीटर का सफर छह घंटे लगते हैं, मेडता से बीकानेर जाने में मात्र करीब पौने तीन घंटे की लगेंगे। अजमेर से मारवाड़ जंक्शन होते हुए जैसलमेर पहंचने में करीब 536 किलोमीटर छह घंटे लगते है नई लाइन बनने के बाद 460 किलोमीटर का सफर पांच घंटे में पूरा होगा। परियोजना के प्रमुख स्टेशन – पुष्कर, नांद, कोड, रियां, जैसास व मेड़ता रोड