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अजमेर

48 कच्ची बस्तियों के डिनोटिफिकेशन से होगा विकास

डिनोटिफाइड होने पर जारी हो सकेंगे पट्टे, सरकार को भेजा प्रस्ताव

अजमेरFeb 07, 2022 / 08:41 pm

bhupendra singh

JCB

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अजमेर. अजमेर विकास प्राधिकरण ने अपने क्षेत्राधिकार की अधिसूचित 48 कच्ची बस्तियों को डिनोटिफाइड करने के लिए प्रस्ताव नगरीय विकास विभाग को भेजा है। प्राधिकरण के अनुसार प्रशासन शहराें के संग अभियान के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशिका में अधिसूचित कच्ची बस्तियों को डिनोटिफाइड (अनाधिसूचित) करने के लिए शक्तियां स्थानीय एम्पावर्ड कमेटी को दिए जाने का उल्लेख है। प्रमुख शासन सचिव नगरीय निकाय विभाग तथा स्थानीय निकाय विभाग की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाल में अजमेर के पाषर्दों ने एडीए की कच्ची बस्तियों को डिनोटिफाइड करने की मांग की थी। इस पर प्रमुख शासन सचिव ने उचित कार्र्वाई के लिए कहा था। प्राधिकरण का मानना है कि अधिसूचित कच्ची बस्तियों में काफी विकास किया जा चुका है। इसलिए अब इन्हें डिनोटीफाइड किया जाए।
शहर में इतनी कच्ची बस्तियां

घूघरा घाटी, इंदिरा कॉलोनी मीरशाह अली, जटिया हिल्स, रेंबल रोड, हरिनगर, गणेशगढ़, राजीव कॉलोनी एलआईसी कॉलोनी के पास, आंतेड बस्ती, बोराज रोड, बाबूगढ़, चमार घाटी (ऋषि घाटी), कमेला मोहल्ला, धानका बस्ती (पड़ाव), त्रिलोक नगर (हरिजन बस्ती), ईदगाह (हरिजन बस्ती), मसूदा नाड़ी, शांतिनगर, मलूसर रोड बागड़ी बस्ती, भगवान गंज, सांसी बस्ती, बालूपुरा, मोडिया भैंरू, अशोक नगर भट्टा, राबडिय़ा मोहल्ला, बावड़ी पाडा (झलकारी नगर), उदय गंज, भजन गंज, गुर्जर धरती, कुम्हार का बाड़ा, शंकर नगर, लूणकरण आहता, गुर्जर टीला, प्रतापनगर भट्टा, नागबाय, तोपदड़ा बंजारा बस्ती, तोपदड़ा बैरवा बस्ती, रामबाग कच्ची बस्ती, नागफणी, जवाहर नगर, चादर पाल बिछला, कंजर बस्ती रामगंज, लोहाखान, कोली बस्ती, रामगंज, लोगिया मोहल्ला, जादूगर, साधु बस्ती भगवान गंज, पुलिस लाइन, अजयनगर, मिस्त्री मोहल्ला, उत्तमचन्द सुनार का बाड़ा, चीता नगर (चौरसियावास) सुभाषनगर।
‘फुटबॉल’ बनी हैं कच्ची बस्तियां

शहर की 48 कच्ची बस्तियां तथा एडीए की पांच साल से अधिक पुरानी योजनाएं नगर निगम तथा एडीए के बीच फुटबॉल बनी हुई है। इन्हें नगर निगम को हस्तांतरित करने के लिए वर्ष 2015 में तत्कालीन एडीए चेयरमैन हेमंत गेरा ने एडीए तथा नगर निगम आयुक्त के साथ बैठक कर योजनाओं तथा कच्ची को नगर निगम को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए थे। लेकिन उनके पद से हटते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद जिला कलक्टरों के समक्ष् भी यह मामला कई बार उठा लेकिन प्रगति नहीं हुई। इससे कच्ची बस्तियों में पट़्टे जारी नहीं हो पा रहे हैं।

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