अजमेर. अजमेर विकास प्राधिकरण की बहुप्रतीक्षित पृथ्वीराज नगर आवासीय योजना गत 15 सालों से आकार नहीं ले सकी है। यहां ना तो आधारभूत ढांचा बन सका है और ना ही पूर्व खातेदारों से प्राधिकरण कब्जे हटवा सका है। भूमि के बदले भूमि नहीं दिए जाने के कारण पूर्व खातेदार जमीन से कब्जा नहीं छोड़ रहे जिससे नए आवंटी को जमीन का कब्जा दिया जाना संभव नहीं हो पा रहा। योजना में अधूरा सड़क निर्माण है। इन खामियों के चलते करीब तीन हजार भूखंडों वाली योजना में दहाई की संख्या में भी मकान नहीं बन सके हैं।2005 में अवार्ड जारी, समय पर नहीं देने से बढा विवाद
योजना के लिए 2005 में खातेदारों को अवार्ड जारी हो गया। खातेदार को उसके स्वामित्व की भूमि के बदले 15 प्रतिशत भूमि दी जा रही थी। लेकिन 25 प्रतिशत भूमि की मांग को लेकर 45 खातेदार कोर्ट पहुंच गए। जो मामला अब भी विचाराधीन है। गांव 400 साल पुराना है। ग्रामीणों का कहना है कि इसे भी योजना में ले लिया है। जहां सौ साल पुराना मकान है उसे बिना मुआवजा या भूमि दिए योजना में शामिल करने से भी ग्रामीण नाखुश हैं।झाडि़यां उगी, अवांछनीय लोगाें का डेरा
कई भूखंडों में कंटीली झाडि़यां हैं तो कई जगह लावारिस मवेशियों का डेरा है। यहां रात्रि में अवांछनीय लोगों के वाहन खड़े रहते हैं। कई बार वारदात हो जाती हैं।आंकड़ों में योजना
21 सितम्बर 2007 – योजना की मंजूरी
1435 बीघा भूमि में प्रस्तावित385.13 एकड़
2705 – कुल भूखंड1010 – आवासीय भूखंड की लॉटरी
20 अक्टूबर 2007 – प्रथम चरण में भूखंड की लॉटरी
8 से 10 – अब तक मकान बने
15 जून 2022 – 31 करोड़ रुपये की जलदाय विभाग को लाइन डाले जाने के लिए मंजूरीइनका कहना है…
हाल ही में भूमि के बदले भूमि से जुड़े करीब 50 प्रकरण मेरे सामने आए हैं उनका निपटारा कर दिया है। कुछेक बचे हैं उन्हें भी जल्द निपटा दिया जाएगा।
– हरिताभ आदित्य, उपायुक्त, एडीए-अजमेर