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अजमेर

पूजा आसुदानी दोनों पैरों से दिव्यांग,फिर भी जीते गोल्ड और सिल्वर मैडल

अजमेर जिले के किशनगढ़ निवासी पूजा ने स्टेट व नेशनल स्तर पर प्रतियोगिताओं में लिया भाग, विशेष योग्यजन के अवार्ड से मिला सम्मान,पैरों से नहीं हौसले की उड़ान से बनी अच्छी धावक

अजमेरMar 05, 2020 / 02:23 am

suresh bharti

पूजा आसुदानी दोनों पैरों से दिव्यांग,फिर भी जीते गोल्ड और सिल्वर मैडल

अजमेर जिले के किशनगढ़ शहर स्थित सिंधी कॉलोनी निवासी पूजा आसुदानी। जीते मैडल और माता पिता की तस्वीर के साथ।

ajmer अजमेर/मदनगंज-किशनगढ़.
शारीरिक कमजोरी मजबूत हौसले के आगे बाधक नहीं बनती। यदि विधाता कोई कमी देता है तो विशेषता में कंजूसी नहीं करता। यदि साहस सकारात्मक है तो लक्ष्य के मार्ग में आने वाली नकारात्मक बाधाएं स्वत: दूर हो जाती है। दोनों पैरों से विकलांग होने के बाद भी कोई श्रेष्ठ धावक बन जाए तो आश्चर्य करना स्वाभाविक है। अजमेर जिले की मार्बल नगरी किशनगढ़ की बेटी पूजा आसुदानी ने 5 गोल्ड और 5 सिल्वर मैडल जीतकर अपने मजबूत इरादे जाहिर कर दिए। अब पूजा आगे चलकर एथेलेटिक्स में देश के लिए खेलना चाहती है।
udaypur उदयपुर जाने पर बदली दुनिया

किशनगढ़ के सिंधी कॉलोनी निवासी पूजा जन्म से ही सरोगल पाल्सी नाम की बीमारी (सीपी) पीडि़त है। बीमारी के चलते पूजा के दोनों पैरों सामान्य नहीं है। उसने अपनी मेहनत और लगन से हिन्दी साहित्य एवं समाजशास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की।
जो पूजा आसानी से चल फिर भी नहीं सकती, वह अच्छी धावक बनकर उभरी है। उसने बताया कि डागाजी की गली निवासी सहेली गरिमा शर्मा और उसके बीच दोस्ती थी। गरिमा की रिश्तेदार महिला शोभा शर्मा जो कि खुद भी दिव्यांग है जो दौसा में नारी शक्ति शोभा ट्रस्ट के माध्यम से दिव्यांगजन एवं अन्य सामाजिक कार्य करती है। उसने गरिमा के जरिए शोभा शर्मा से मोबाइल पर बातचीत की।
इस पर उसे उदयपुर आने का न्यौता मिला। पूजा के पिता नारायणदास एवं माता अंजना समेत सहेली गरिमा ने उसे उदयपुर जाने के लिए प्रोत्साहित किया। काफी कहने के बाद पूजा उदयपुर जाने के लिए राजी हो गई।
पहली बार दौड़ी पूजा

वर्ष 2017 में पूजा उदयपुर जाकर शोभा शर्मा से मिली। यहां पूजा को एथेलेटिक्स प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। पूजा का चयन टी-37 कैटेगिरी में हुआ। उसने 8 वीं स्टेट लेवल के पेरा एथेलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लिया। अपनी पहली ही 100 मीटर और 400 मीटर की दौड़ के साथ ही तश्तरी फैंक स्पद्र्धा में सिल्वर मैडल पर कब्जा किया। मैडल जीत कर घर लौटी पूजा का परिवार के सदस्य काफी खुश हुए।
…फिर थमी नहीं पूजा

पूजा ने वर्ष 2018 में हरियाणा के पंचकुला में नेशनल पैरा एथेलेटिक्स चैम्पियनशिप में भी भाग लिया। इस बार टी-38 के ग्रुप की 100 मीटर दौड़ में पूजा ने एक बार फिर गोल्ड जीत लिया।
इसके बाद उसने वर्ष 2019 में जयपुर के एसएमएस ग्राउंड में 9 वीं पेरा एथेलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर दौड में बाग लेकर गोल्ड एवं 200 मीटर दौड़ में सिल्वर मैडल जीता। वर्ष 2019 में ही पहले पिता और इसके कुछ ही समय बाद माता ने दुनिया छोड़ दी। इसके चलते वह एक बार फिर निराश हो गई, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारी। 3 मार्च को जोधपुर में हुई 10 वीं स्टेट पैरा एथेलेटिक्स प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर उसने 100 मीटर दौड़ में गोल्ड जीता।
पूजा ने कहा-हिम्मत है तो लक्ष्य जरूर मिलेगा

पूजा का मानना है कि यदि इरादे मजबूत हैं तो कठिन से कठिन कार्य भी आसान हो जाते है। पहले वह भी निराश रहती थी,लेकिन प्रोत्साहन मिला तो हिम्मत हुई। जीवन में शारीरिक कमी या किसी परेशानी से नर्वस नहीं होना चाहिए। निरंतर अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ते रहने पर सफलता जरूर कदम चूमेगी।

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