विधानसभा (state assembly) में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2017 पारित हो चुका है। इसकी अधिनियम की धारा 9 (10) के तहत किसी विश्वविद्यालय के कुलपति पद की कोई स्थाई रिक्ति, मृत्यु, त्यागपत्र, हटाए जाने, निबंलन के कारण या अन्यथा हो जाए तो उप धारा 9 के अधीन संबंधित विश्वविद्यालय के कुलसचिव (registrar) तत्काल कुलाधिपति-राज्यपाल (chancellor-governor) को सूचना भेजेंगे। कुलाधिपति सरकार (state govt) से परामर्श कर किसी दूसरे विश्वविद्यालय के स्थाई कुलपति को अतिरिक्त दायित्व सौंपेंगे।
एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है, फिर भी राजभवन और सरकार ने 11 महीने में कोई कदम नहीं उठाया है। जबकि विश्वविद्यालय (university) में कुलपति (vice chancellor) की गैर मौजूदगी से हालात बिगड़ चुके हैं। राजभवन और सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट को 2017 में पारित एक्ट का हवाला भी दिया। इसके बावजूद अमल करने की कोशिश नहीं की है।
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