यूजीसी के निर्देश पर सभी विश्वविद्यालयों ने 2010-11 से शोध पात्रता परीक्षा (रेट) कराना शुरू किया। विश्वविद्यालय पांच बार यह परीक्षा करा चुका है। इस परीक्षा में पत्रकारिता, चार्टर्ड एकाउन्टेंट, कम्पनी सचिव विषय को पीएचडी की परीक्षा में शामिल ही नहीं किया गया है। साथ ही विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में पीएचडी गाइड भी उपलब्ध नहीं है।
अन्तर संकाय पीएचडी भी नहीं नियमानुसार किसी विषय विशेष के शोध पात्रता परीक्षा में शामिल नहीं होनेपर विद्यार्थियों को अन्तर संकाय (इन्टर डिस्पलेनिरी) में पीएचडी कराई जाती है। प्रबंध अध्ययन, कॉमर्स, पर्यावरण अध्ययन, सामाजिक विज्ञान और अन्य संकाय में कॉस्ट एन्ड एकाउंटेंसी, कम्प्यूटर, बिजनेस मैनेजमेंट सहित सीए-सीएस से जुड़े कई विषय शामिल हैं। इसके बावजूद इन विषयों को शोध पात्रता परीक्षा में शामिल नहीं किया गया है।
डिग्री पर विरोधाभास की स्थिति
सीए-सीएस को शोध पात्रता परीक्षा में विषय/संकाय मानने को लेकर विश्वविद्यालय में पेचीदा स्थिति है। सीए-सीएस कोर्स में प्रवेश के लिए फाउन्डेशन परीक्षा (सीपीटी) होती है। इसमें बारहवीं में शामिल या उत्तीर्ण विद्यार्थी बैठते हैं। इसके आधार पर वे विभिन्न ग्रुप क्लीयर कर चार्टर्ड एकाउन्टेंट अथवा कम्पनी सचिव बनते हैं। सीए-सीएस को स्नातकोत्तर डिग्री मानने को लेकर विश्वविद्यालय में कभी विचार नहीं हुआ है। हालांकि यूजीसी और अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू), द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेंट्स ऑफ इंडिया, द इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पनी सेक्रेटरीज की सूची में शामिल कई विश्वविद्यालय पीएचडी कराते हैं।
ये विवि कराते हैं पीएचडी मुम्बई यूनिवर्सिटी, भावनगर यूनिवर्सिटी, मदुराई कामराज यूनिवर्सिटी, संभलपुर यूूनिवर्सिटी, राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ईटानगर, बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल,सरदार पटेल यूनिवर्सिटी गुजरात, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक, नागपुर यूनिवर्सिटी, मैसूर यूनिवर्सिटी, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जम्मू यूनिवर्सिटी, गुजरात यूनिवर्सिटी अहमदाबाद और अन्य
देश में कई विश्वविद्यालय सीए-सीएस कर चुके अभ्यर्थियों को पीएचडी कराते हैं। यह डिग्री स्नातकोत्तर के समकक्ष मानी जाती है। मदस विश्वविद्यालय को भी इस पर विचार करना चाहिए। डॉ. एम. एल. अग्रवाल, प्राचार्य सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय