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aanasagar : इतना छलका आनासागर कि लबालब हो गई गागर विश्वविद्यालय में प्रत्येक वित्तीय वर्ष (financial year) के लिए लेखानुदान पारित किया जाता है। लेखानुदान में संभावित परीक्षात्मक आय (exam fees), वेतन-भत्ते, विभिन्न मद (others) में खर्चे शामिल होते हैं। इसके लिए कुलपति
(r.p.singh) ही अधिकृत होते हैं। उनकी अध्यक्षता में वित्त विभाग (finance dept) लेखानुदान पारित कर सरकार (govt of rajasthan) को भेजता है। सरकार बजट फाइनेंस कमेटी
(budget finance committee) में लेखानुदान की समीक्षा करती है। कमेटी यथावत अथवा आंशिक परिवर्तन कर इसे पारित करती है।
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MDSU: एक ही सवाल..क्यों नहीं सौंप रहे दूसरे कुलपति को जिम्मेदारी कुलपति के बगैर मुश्किलकुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज पर हाईकोर्ट
(rajasthan highcourt) की रोक कायम है। नियमानुसार कुलपति ही वित्त वर्ष 2019-20 का लेखानुदान पारित करने के लिए अधिकृत हैं। राजभवन ने बीते मार्च में डीन कमेटी
(dean committee) को लेखानुदान के लिए अधिकृत किया था। कमेटी अप्रेल से सितंबर तक लेखानुदान पारित कर चुकी है। अब कमेटी भी कार्यरत नहीं है।
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Sachin Pilot : आर्थिक मंदी हावी, युवाओं को नहीं मिल रही नौकरियां करना होगा लेखानुदान पारित मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 का लेखानुदान सितंबर तक पारित है। इसकी अवधि 30 सितंबर तक है। अक्टूबर से विश्वविद्यालय को वेतन-भत्ते चुकाने में परेशानियों
(problem for university)का सामना करना पड़ेगा। लिहाजा प्रशासन ने कुलाधिपति एवं राज्यपाल को पत्र भेजा है। मालूम हो कि विश्वविद्यालय को सरकार से सालाना 3 करोड़ 60 लाख रुपए ही अनुदान (grant) मिलता है। जबकि शिक्षकों (teachers), अधिकारियों (officers), कर्मचारियों (staff) के वेतन-भत्तों, सेवानिवृत्त कार्मिकों की पैंशन (pention) के रूप में विश्वविद्यालय को प्रतिमाह दो करोड़ रुपए देने होते हैं।