ब्रिटिशकाल में 18 वीं शताब्दी में निर्मित बीर तालाब (beer pond) पिछले 15 साल में कभी लबालब नहीं हो पाया। अवैध अतिक्रमण और पानी आवक के मार्गों में रुकावट से तालाब बर्बाद हो गया है। जबकि इसकी भराव क्षमता 30 फीट (117.12 एमसीएफटी) है। मौजूदा वक्त इसमें पानी नहीं (डेड स्टोरेज) है।
18 वीं शताब्दी में निर्मित ऊंटड़ा का तालाब (oontra) सिंचाई का प्रमुख स्त्रोत रहा है। इसकी भराव क्षमत 18 फीट (106.00 एमसीएफटी) है। अगस्त में ताबड़तोड़ बारिश (rain) के बावजूद तालाब को जोडऩे वाले नालों में 7 फीट पानी है। बेतरतरीब एनिकट और रपट के कारण यह 30 साल में कभी पूरा नहीं भर सका। इस बार भी मोरी लीक होने से पानी बह गया। मौजूदा वक्त पानी नहीं है।
1891-92 में निर्मित फूलसागर कायड़ (phool sagar kayad) तालाब सिंचाई का प्रमुख स्त्रोत है। इसकी भराव क्षमता 18 फीट (106.00 एमसीएफटी) है। ताबड़तोड़ बरसात (rain in ajmer)से तालाब में ८.१५ फीट आया। चाचियावास पहाड़ी के निकट आव टूटने पानी नहीं पहुंच सका। लोहागल, जनाना रोड क्षेत्र में अतिक्रमण और गहरे गड्ढों से तालाब में पानी नहीं पहुंचता है। 1982-83 के बाद कभी पूर्ण भराव क्षमता तक नहीं पहुंचा।
18 वीं सदी में इंजीनियर फॉय की देखरेख में फायसागर झील (foysagar lake ajmer) का निर्माण हुआ था। इसकी भराव क्षमत 26 फीट (165.00 एमसीएफटी) है। अगस्त में ताबड़तोड़ बारिश (haevy rain) के बाद भी झील में 21.5 फीट पानी ही आया। पानी आवक मार्ग में अतिक्रमण, बेतरतरीब निर्माण और नालों के कारण यह 30 साल में कभी पूरा नहीं भर पाई है। कभी इसका पानी ओवरफ्लो होने के बाद आनासागर (anasagar lake) में जाता था।
मानसून की चार माह की अवधि (जून से सितंबर) होती है। देश में सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों की कुल औसत बारिश 1156 मिलीमीटर (प्रतिवर्ष) मानी गई है। अजमेर जिला (ajmer district) देश की औसत बारिश आंकड़े से 256 मिलीमीटर दूर है। मानसून मेहरबान रहा तो जिला यह आंकड़ा पार कर सकता है।