प्रदेश में वर्ष 2005-06 में 15 लॉ कॉलेज स्थापित हुए। इनमें अजमेर, भीलवाड़ा, सीकर, नागौर, सिरोही, बूंदी, कोटा, झालावाड़ और अन्य कॉलेज शामिल हैं। शुरुआत से लॉ कॉलेज की स्थिति खराब है। पूरे राज्य (rajasthan) में करीब 120 विधि शिक्षक
(law teachers) कार्यरत हैं। प्रवेश प्रक्रिया में तो यह जबरदस्त पिछड़े हुए हैं।
नहीं भर सकते ऑनलाइन फार्म राज्य के लॉ कॉलेज ऑनलाइन प्रणाली
(online forms) से अब तक दूर हैं। विद्यार्थी कॉलेज शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट (website)से सिर्फ प्रवेश फॉर्म डाउनलोड (form download) करते हैं। इसके बाद भरा हुआ फॉर्म और उसकी हार्ड कॉपी कॉलेज में जमा करानी पड़ती है। फीस भी डिमांड ड्राफ्ट के जरिए जमा होती है। इसकी एवज में विद्यार्थियों को बैंक में सरचार्ज (bank surcharge) भी देना पड़ता है। यह हाल तब है, जबकि प्रदेश के सभी कॉलेज में ऑनलाइन फार्म भरने और ई-मित्र (E-Mitra) पर फीस जमा कराने की शुरुआत हो चुकी है।
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mdsu ajmer: सीए-सीएस और जर्नलिस्ट नहीं कर सकते पीएचडी यह होती है ऑनलाइन प्रक्रियाकागजों से छुटकारा पाने के लिएऑनलाइन अथवा डिजिटल प्रक्रिया अपनाई गई है। इसमें वेबसाइट पर परीक्षा (examination), प्रवेश फार्म
(admission form) अथवा सामान्य कामकाज कम्प्यूटरीकृत (computerization) होते हैं। विद्यार्थी अथवा आमजन संबंधित वेबसाइट पर सीधे फार्म भरते हैं। उनकी सूचनाएं सीधे सर्वर पर दर्ज होती रहती हैं। फीस प्रक्रिया के लिए डेबिट/क्रेडिट कार्ड से स्क्रेच प्रक्रिया अथवा बैंक चालान का इस्तेमाल होता है। इसमें हार्ड कॉपी (hard copy) निकालने और जमा कराने जैसी दिक्कतें नहीं होती।
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फारूक अब्दुल्ला ने 15 दिन पहले अजमेर में जताया था अंदेशा तीन साल की सम्बद्धता पर नहीं फैसला बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने सभी विश्वविद्यालयों को लॉ कॉलेज को तीन साल की एकमुश्त
(permanent affiliation)सम्बद्धता देने को कहा है। यह मामला विश्वविद्यालयेां और सरकार के बीच अटका हुआ है। विश्वविद्यालय अपनी छोडऩे को तैयार नहीं है। हालांकि महर्षि दयानंद सरस्वती और कुछ विश्वविद्यालयों ने सरकार को पत्र भेजा है। आठ महीने से प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
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छात्र संघ चुनाव पर पुलिस की कड़ी नजर ये लॉ कॉलेजों की परेशानियां……-बीते 14 साल से बीसीआई से नहीं मिली स्थाई सम्बद्धता -प्रतिवर्ष प्रथम वर्ष के दाखिलों में होता है विलम्ब
-वरिष्ठ वकीलों की लेनी पड़ती है सेवाएं
-विधि शिक्षा का पृथक कैडर नहीं होने से स्थाई प्राचार्य नही
-ऑनलाइन फीस और फॉर्म भरने की सुविधा नहीं