उन्होंने कहा कि प्रदेश के विधि शिक्षा के हालात से वाकिफ हैं। सरकारी लॉ कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालयों में विधि संकाय में पर्याप्त स्टाफ नहीं है। भर्तियां समय पर नहीं हो रही। विधि शिक्षकों का पृथक कैडर कॉलेज शिक्षा निदेशालय के अधीन रहते बनना मुश्किल है। सरकार को तत्काल सभी लॉ कॉलेज को विधि विश्वविद्यालय के अधीन सौंपना चाहिए। ऐसा होने पर स्नातक और स्नातकोत्तर विधि पाठ्यक्रमों में प्रवेश और परीक्षाएं एक साथ हो सकेंगी। उन्होंने तत्कालीन भाजपा सरकार का नाम लिए बगैर कहा कि अम्बेडकर लॉ यूनिवर्सिटी को जानबूझकर ठप करने की कोशिश की गई। समय रहते इसे कॉलेज सौंपने के अलावा स्टाफ दिया जाता तो यूनिवर्सिटी बेहतर ढंग से संचालित हो सकती थी।
प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक हाल खराब
प्रो. लाल ने कहा कि राज्य में प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक हाल खराब हैं। शिक्षकों की कमी स्कूल,कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर तक बनी हुई है। कहीं भी विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार पर्याप्त शिक्षक और संसाधन नहीं हैं। जिस तेजी से उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़ रहा है, उसके अनुसार शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं हो रही हैं। लॉ कॉलेज भी इनमें शामिल हैं।