लॉ कॉलेज को 14 साल से बार कौंसिल ऑफ इंडिया से स्थाई मान्यता
(permanent affiliaton) नहीं मिली है। इसको हर साल विश्वविद्यालय से सम्बद्धता लेनी पड़ती है। सम्बद्धता पत्र और निरीक्षण रिपोर्ट (inspection report) बार कौंसिल ऑफ इंडिया को भेजी जाती है। कौंसिल की मंजूरी के बाद प्रथम वर्ष में दाखिले होते हैं। इस बार भी हालात वैसे ही हैं।
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फारूक अब्दुल्ला ने 15 दिन पहले अजमेर में जताया था अंदेशा बीते सत्र के 40 दिन सत्र 2019-20 के 40 दिन बीत चुके हैं। विश्वविद्यालय से मिले सम्बद्धता पत्र को लॉ कॉलेज ने बीसीआई को भिजवा दिया है। कौंसिल की लीगल एज्यूकेशन कमेटी (legal education committee) प्रतिमाह द्वितीय या तृतीय शनिवार को होती है। लिहाजा मौजूदा अगस्त में 17 अगस्त को बैठक होने के आसार हैं। इसमें ही लॉ कॉलेज (law college) के पत्र और प्रथम वर्ष में दाखिले
(admission) पर कोई फैसला हो सकता है।
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विधेयक पास होने के बाद अजमेर में पहला ट्रिपल तलाक शिक्षकों की कमी बरकरारयूजीसी के नियमानुसार किसी भी विभाग में एक प्रोफेसर (professor), दो रीडर (reader) और तीन लेक्चरर (lecturer) होने चाहिए। लॉ कॉलेज में प्राचार्य सहित सात शिक्षक हैं। एक शिक्षक लंबे अर्से से डेप्युटेशन (deputation)पर जयपुर तैनात है। एक महिला शिक्षक (women lecturer) ने ज्वॉइन नहीं किया है। कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान (sports), सभागार (auditorium), और अन्य सुविधाएं नहीं हैं।
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fraud: कार बेचने के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोपी चढ़ा हत्थे वरना बनता संघठक कॉलेज मदस विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली (vijay shrimali) ने लॉ कॉलेज को संघठक कॉलेज
(constituent college) बनाने की योजना बनाई थी। वे बीते साल जून में इसका निरीक्षण भी करने वाले थे। लेकिन श्रीमाली का आकस्मिक देहांत (death) हो गया। तबसे प्रस्ताव पर दोबारा विचार नहीं हो सका है। संघठक कॉलेज बनने पर कॉलेज का विकास कार्य (development work) तेजी से हो सकता है। इसके अलावा विश्वविद्यालय और कॉलेज के शिक्षक आपस में पढ़ाई करा सकते हैं।