प्रदेश के सभी 15 लॉ कॉलेज अलग-अलग विश्वविद्यालयों के क्षेत्राधिकार में हैं। विश्वविद्यालय अपने एक्ट और स्वायत्तशासी संस्था होने के नाते सम्बद्धता मामले में भेदभाव कर रहे हैं। बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय अपने क्षेत्राधिकार के श्रीगंगानगर, चूरू और बीकानेर लॉ कॉलेज को स्थाई सम्बद्धता जारी कर चुका है। इन कॉलेज को प्रतिवर्ष सम्बद्धता लेने की जरूरत नहीं है। वहीं महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अपने क्षेत्राधिकार के अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर और टोंक के लॉ कॉलेज से भेदभाव कर रहा है। विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष मोटी रकम वसूलने के बावजूद अस्थाई सम्बद्धता जारी करता है। स्थाई सम्बद्धता को लेकर कोई कुलपति फैसला नहीं कर पाया है।
मेडिकल, तकनीकी और उच्च शिक्षा की तरह विधि शिक्षा का पृथक कैडर नहीं बन सका है। विधि शिक्षा में करीब 120 शिक्षक कार्यरत हैं। लॉ कॉलेज में स्थाई प्राचार्य का पद सृजित नहीं है। इनमें शुरुआत से वरिष्ठतम रीडर को ही कार्यवाहक प्राचार्य बनाया जा रहा है। 7-8 शिक्षक तो सियासी रसूखात के चलते विश्वविद्यालयों और कॉलेज शिक्षा निदेशालय में पदस्थापित हैं।