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अजमेर

राजस्थान का अनोखा गांव, जहां नहीं है एक भी पक्का मकान, इन चीजों पर है प्रतिबंध

ब्यावर जिले के मसूदा उपखण्ड से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम देवमाली में गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण का प्राचीन मंदिर है। इसमें पूरा गांव बारी-बारी से पुजारी का कार्य करता है।

अजमेरFeb 16, 2024 / 03:02 pm

Kamlesh Sharma

Interesting Facts About Devmali Village in Ajmer Rajasthan

ब्यावर जिले के मसूदा उपखण्ड से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम देवमाली में गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण का प्राचीन मंदिर है। इसमें पूरा गांव बारी-बारी से पुजारी का कार्य करता है।

Devmali Village: मसूदा। ब्यावर जिले के मसूदा उपखण्ड से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम देवमाली में गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण का प्राचीन मंदिर है। इसमें पूरा गांव बारी-बारी से पुजारी का कार्य करता है। यहां बनाए वचन व नियमों का आज भी कठोरता से पालन किया जाता है। आज भी पूरा गांव कच्चे घरौंदा का है। एक भी पक्का मकान नहीं है।

देवमाली गुर्जर बाहुल्य गांव है। कई पीढ़ियां बीत गईं, मगर गुर्जर समाज के लोग एवं परिवार नियमों की पालना करने को कट्िबद्ध हैं। ग्रामीणों का कहना है कि भगवान देवनारायण गोमाता की सेवा करते थे। जिससे गांव में पशुपालन को लेकर खासा लगाव है। गांव में मात्र सरकारी भवन ही पक्के हैं। गांव में घूमते ही ग्रामीण परिवेश झलकने लगता है। गांव के सभी परिवार भगवान देवनारायण मंदिर के पुजारी हैं।

छप्पर व कच्चे घरोंदों का गांव
देवमाली की परंपरा अनुसार सभी लोग कच्चे घरोंदों, छप्परनुमा मकानों में रहते हैं। मूल रूप से कृषि पर आधारित परिवार हैं।

ना मांस-मदिरा ना घरों में केरोसीन का उपयोग
यहां के वचन एवं नियमों के अनुसार गांव में कोई भी व्यक्ति मांस-मदिरा का उपयोग नहीं करता। यही नहीं घरों में केरोसीन का उपयोग करना आज भी वर्जित है। गांव में मान्यता है कि इन नियमों की पालना नहीं करने पर उस परिवार को खासी हानि उठानी पड़ती है।

पत्थरों ने भी किया नमन
मान्यता है कि देवमाली में भगवान देवनारायण का विक्रम संवत् 999 में अरावली पर्वत माला की श्रेणी से आगमन हुआ। उनके आगमन पर ग्राम सहित आस-पास के क्षेत्र के पहाड़ एवं पत्थरों ने एक तरफ झुककर उनका अभिनंदन किया था। गांव के सभी पहाड़ व पत्थर पश्चिम दिशा में झुके नजर आते हैं।

गांव में यह भी है खास
देवमाली स्थित बीला बीली के नाम से पानी का नाडा है। ग्रामीणों का कहना है कि इसके पानी से स्नान करने मात्र से कुष्ठ रोग समाप्त हो जाता है।

यह भी है मान्यता

केसर की होती है वर्षा
देवमाली में भगवान देवनारायण को लेकर ग्रामीणों में मान्यता है कि भगवान देव नारायण के मंदिर में प्रवास पर मंदिर परिसर के साथ-साथ गांव में केसर की वर्षा होती है। इससे कपडों, वाहनों पर पीले धब्बे कई बार नजर आते हैं।

इनका कहना है…

ग्राम में आज भी नियमों एवं वचनों का कठोरता से पालन किया जाता है। इन नियमों की पालना नहीं करने वाले परिवार को काफी हानि उठानी पड़ती है।
रामकरण गुर्जर, पुजारी, देवनारायण मंदिर, देवमाली

पम्पराओं व वचनों को कठोरता से निभाया जा रहा है। भगवान देवनारायण के गांव में आगमन करने पर पहाडों व पत्थरों ने भी झुककर अभिनंदन किया। इसका नजारा गांव के चारों ओर नजर आता है।
दयाराम गुर्जर, देवमाली

मान्यता है कि ग्राम में स्थित बिला बिली के नाडे में स्नान करने से कुष्ठ जैसे रोग से निजात मिल जाती है। पीढ़ी दर पीढ़ी अपने पूर्वजों के वचनों का निर्वाह कर रहे हैं, जिसको लेकर कोई परेशानी नहीं आती है।
भारू गुर्जर, देवमाली

ग्राम में कुछ लोगों ने इन नियमों को तोड़ने का प्रयास किया, जिनके परिवार को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। पक्के मकान को हटाने पर ही परिवार को राहत मिली।
जेठूराम गुर्जर, देवमाली

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