विष्णु गुप्ता ने आरोप लगाया कि याचिका दायर करने के बाद से उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। पिछली सुनवाई के दौरान भी उन्हें धमकी भरे फोन कॉल आए थे, जिसके बाद उन्होंने अजमेर के क्रिश्चियन गंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। गुप्ता ने कोर्ट से अपील की है कि सुनवाई के दौरान सुरक्षा चाक-चौबंद रखी जाए। बताते चलें कि विष्णु गुप्ता की सुरक्षा की मांग और विवाद की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन और पुलिस अलर्ट है। कोर्ट परिसर में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाने की संभावना है।
दरगाह एक्ट और वंशावली पर दावा
याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने स्पष्ट किया है कि अजमेर की ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह दरगाह एक्ट के तहत आती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना है कि ख्वाजा गरीब नवाज का कोई वंश नहीं था, क्योंकि वह सूफी संत थे और उनका विवाह नहीं हुआ था। उन्होंने प्रतिवादी बनने के लिए दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेद्दीन और एक खादिम द्वारा दायर अर्जियों का भी विरोध किया है। गुप्ता का कहना है कि खादिमों का दरगाह से कोई कानूनी संबंध नहीं है।
वर्शिप एक्ट लागू नहीं होने का दावा
विष्णु गुप्ता ने तर्क दिया कि 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का इस मामले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में साफ कहा गया है कि दरगाह पूजा पद्धति का स्थान नहीं है। इसलिए, यह एक्ट यहां लागू नहीं होता। गुप्ता ने बताया कि 24 जनवरी को कोर्ट में वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश और अन्य साक्ष्य पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को लेकर की गई दलीलें ऐतिहासिक तथ्यों और कानूनी आदेशों पर आधारित हैं।
दरगाह का क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि अजमेर की प्रसिद्ध ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह को लेकर विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि यह स्थान पहले एक शिव मंदिर था। इस मामले को लेकर गुप्ता ने कोर्ट में याचिका दायर की है। गुप्ता का कहना है कि इस स्थान को लेकर ऐतिहासिक तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर नए सिरे से जांच होनी चाहिए।