मौजूदा पारंपरिक प्रयोगशालाओं में कई उपकरण नहीं होने से विद्यार्थी प्रायोगिक कार्य (Science Practical) ढंग से नहीं कर पाते हैं। डिजिटल कंप्यूटर लेब बनने के बाद उन्हें प्रायोगिक कार्यों की विधि समझने, ई-कंटेंट की सहायता से प्रयोग करने, फाइल और डाटा तैयार करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा शोध कार्य और नवाचार को भी समझने का अवसर मिलेगा।
1836 में स्थापित एसपीसी-जीसीए में भूगोल विभाग (Geography department) ने हाइटेक लेब तैयार कराई है। राज्यसभा सांसद डॉ. भूपेंद्र यादव ने भूगोल विभाग में हाइटेक लेब बनाने के लिए 25 लाख रुपए दिए हैं। लेब में नि:शुल्क इन्टरनेट सुविधा मुहैया कराई गई है। विद्यार्थियों के लिए एक पुस्तकालय भी तैयार किया गया है। यहां जीआईएस, कम्प्यूटर, इंटरनेट जैसी सुविधाएं होंगी। अजमेर जिले और प्रदेश की नदियों, बांध, तालाब और जलाशयों, भौगोलिक स्थिति, अरावली पर्वत श्रंखला, वन सम्पदा पर विस्तृत शोध हो सकेगा। भविष्य में राष्ट्रीय स्तरीय संस्थानों से बड़े प्रोजेक्ट लाए जाएंगे। यहां राजस्थान के अलावा देश की भौगोलिक स्थिति का आकलन एवं शोध किया जा सकेगा।
डिजिटल साइंस लेब तैयार कराई गई है। यहां कंप्यूटर और अन्य उपकरण लगाए जाएंगे। विद्यार्थियों को शैक्षिक नवाचार और प्रयोग सीखने को मिलेंगे।
डॉ.एम.एल.अग्रवाल, प्राचार्य सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय