पिछले दिनों कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने प्रशासन से तिरंगा नहीं फहराने की वजह पूछी, साथ ही तत्काल ध्वज लगाने को कहा। इसकी अनुपालना में गुरुवार को प्रशासन ने तत्काल पोल (100 feet pole) पर ध्वज फहराया।
भारत में प्राचीन काल से ध्वज को फहराने और उतारने की रस्म (tradition) निर्धारित है। सतयुग और द्वापर युग से लेकर रियासतों के जमाने में सूर्योदय (sunrise) के साथ ध्वज फहराया जाता था। इस दौरान ढोल-नगाड़े, दुंदुभी या शहनाई बजाई जाती थी। इसी तरह सूर्यास्त (sunset) होने से पूर्व ध्वज को इसी तरह सम्मानपूर्वक (honour) उतारा जाता था। आजादी से पहले 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पहल पर कांग्रेस (congress)की बैठक में सबसे पहले ध्वज अपनाया गया था।