पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी का तीर्थराज पुष्कर के प्रति भी गहरी आस्था रही थी यही कारण रहा कि उन्होने अपने जीवन में तीन बार पुष्कर की यात्रा की। यह ही नही वाजपेयी ने पुष्कर सरोवर के जल को परिपूर्ण रखने की समस्या का स्थाई समाधान नही होने पर भी दुख व्यक्त किया तथा इसकी आवश्यकता भी बताई थी। वाजपेयी ने पुष्कर सरोवर में भी आस्था की डुबकी भी लगाई थी।
पुष्कर संस्मरणों पर एक नजर-
सर्व प्रथम वाजपेयी जी अजमेर के एक परिचित के यहां पर विवाह समारोह में शरीक होने आए थे। इस दौरान उन्होने यात्रीकर नाके पास स्थित बांगड़ जी की बगीची में चंद घंटे विश्राम करके दालबाटी चूरमा का स्वाद लिया था। इसके बाद वाजपेयी वर्ष 29 जनवरी 89 को आए। तीसरी यात्रा 12 नवम्बर 92 को हुआ। इस समय उनका प्रवास पुष्कर की पर्यटन विकास निगम की होटल सरोवर में रहा। पुष्कर यात्रा के दौरान इस बारे वे मजाकिया मूड़ में थे।
पत्रिका संवाददाता नें होटल सरोवर से पुष्कर सरोवर में स्नान करने जाते समय जब उनसे अयोध्या के बाबरी मस्जिद के बारे मे पूछा गया तो उन्होने होटल सरोवर के छप पर बने स्तूपो को देखकर कहा था कि मुझेे तो यहां भी अयोध्या ही लग रही है। इस पर सभी हंस पड़े।
पुष्कर सरोवर के घाट पर आने के साथ ही मौके पर मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओ ने वाजपेयी जी को बताया कि इस तीर्थ सरोवर म स्नान करने का धार्मिक महत्व है तथा वाजपेयी जी ने हंसकर कपड़े उतारे और कहा कि मेरे साथ कितने है डुबकी लगाने वाले, सभी आ जाओ। इसके बाद उन्होने पुष्कर सरोवर मे डुबकी लगाकर स्नान किया। पंडित नन्दागुरू ने न्हे पूजा कराई। स्नान के बाद वाजपेयी ज होटल सरोवर मे आए तथा भाजपा के युवाकार्यकर्ता श्रीधर शर्मा, शिवस्वरूप महर्षि, पुखराज दुबे सहित कार्यकर्ताओं के साथ फोटो सेशन भी करवाया।
पुष्कर सरोवर में जलपरिपूर्ण रहने के प्रयास जारी रहने चाहिए -वाजपेयी
दूसरी बार पुष्कर यात्रा के दौरान वर्ष 92 में पूर्व प्रधानमंत्री ने पुष्कर पूजन व स्नान के दौरान पुरोहित की बही में अपने वक्तव्य लिए जा इस प्रकार थे।
आज पुन: पुष्कर आने का सुअवसर मिला। सरोवर को जल से परिपूर्ण कैसे रखा जाय इस समस्या का स्थायी समाधान अभी तक नही मिलाहै प्रयास ारी रहना चाहिए- अटल बिहारी वाजपेयी- 12.11.92